मरीजों को लूटने के लिए मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने बनाया चक्रव्यूह

रिपोर्ट- सुरेंद्र ढाका

देहरादून। प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज आए दिन किसी ना किसी वजह से चर्चाओं में रहता है. कभी डॉक्टरों की मरीजों के साथ बहस तो कभी संसाधनों की कमी. और अब एक और मामला सामने आया है. इस बार मामला दवाईयों से जुड़ा हुआ है.

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यह तो सभी जानते हैं की दून अस्पताल में सरकार और हाईकोर्ट के कहने के बावजूद भी डॉक्टर बाहर की मंहगी दवाईयां लिखते हैं. वजह बताई जाती है की अस्पताल में दवाइयां मौजूद नही हैं. जिस वजह से बाहर की दवाईयां लिखी जा रही हैं. कई बार यह भी सामने आ चुका है की डॉक्टरों के कैबिन में एमआर बैठे रहते हैं और कई तो दवाईयां भी लिख देते हैं.

हालत की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से गलाया जा सकता है की अस्पताल के सीएमएस खुद कह रहे हैं की 94 प्रतिशत दवाईयां अस्पताल में हैं लेकिन डॉक्टर लिख नही रहे हैं. और यही पुष्टि LIST OF MEDICINE AVAILABLE IN STORE से सामने आए अक्टूबर माह की रिपोर्ट भी करती है.

डॉक्टरों पर नकेल कसना अब किसी के बस की बात नही है. यह बात खुद अस्पताल से जुड़े अधिकारी मानते हैं. और जिस तरह से अस्पताल में 94 प्रतिशत से भी ज्यादा की दवाईयां उपलब्ध होने के बावजूद भी डॉक्टरों द्वारा लिखी नही जा रही उससे मरीज बहुत परेशान हैं.

आज सरकारी अस्पताल में कोई अमिर व्यक्ति नही आता, वही सरकारी अस्पताल की तरफ जाता है जिसके पास प्राईवेट अस्पताल की मंहगी फीस भरने के लिए पैसे नही है. लेकिन प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज की हालत गंभीर है. सीएमएस खुद कह रहे हैं की मै कई बार डॉक्टरों से पर्सनल रिक्वेस्ट कर चुका हूं लेकिन वह लिखने के लिए तैयार नही हैं.

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प्रदेश में सरकारी अस्पतलों और डॉक्टरों की हालत काफी गंभीर है. पहाड़ो में डॉक्टर चढ़ना नही चाहते और मैदानी भागो में वह अपने प्राइवेट क्लीनिक में ज्यादा ध्यान देते ही नजर आते हैं.

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