दिलीप कुमार
दोहरी घाट निवासी नवल किशोर शर्मा के एक याचिका की सुनवाई करते हुए मऊ जिला एवं सत्र न्यायालय ने राजस्थान के अलवर जिले से जुड़े मामले को लेकर सीएम योगी को नोटिस जारी किया है।

उनपर आरोप है कि उन्होंने मालाखेड़ा में 28 नवंबर 2018 को एक जनसभा में भगवान हनुमान को दलित बताते हुए टिप्पणी की थी। परिवादी नवल किशोर शर्मा ने योगी आदित्यनाथ को आरोपी बताते हुए विचारण के लिए तलब करने का अनुरोध किया गया है।
गौरतलब है कि इससे पहले इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/एमपी-एमएलए कोर्ट श्वेता चौधरी ने याचिका खारिज कर दी थी। हालांकि मऊ के जिला एवं सत्र न्यायाधीश रामेश्वर ने इस आदेश के विरुद्ध दाखिल निगरानी को स्वीकार कर लिया और इस संबंध में योगी को नोटिस जारी की। इसके साथ ही सुनवाई के लिए 26 अप्रैल की तारीख तय की है।
इस मामले को लेकर याची का कहना है कि सीएम योगी ने अलवर के एक जनसभा में कहा था कि बजरंगबली ऐसे लोक देवता हैं, जो स्वयं बनवासी है, गिरवासी हैं, दलीत हैं, वचिंत हैं। योगी के इस भाषण से याची के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है।
आपको बता दें कि बीजेपी के फायर ब्रांड नेता कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश के सीएम योगी वर्ष 2018 में अलवर के मालाखेड़ा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे। उस दौरान वो ऐसे रौ में बहे कि जन-जन के आराध्य हनुमान जी को वंचित और दलित भी कह डाला था। उसके बाद योगी बयान देकर बेशक वहां से चले आए थे, लेकिन उनके इस बयान ने कई वर्गों में नाराजगी फैला दी थी।

लोगों को उनका यह बयान काफी नागवार गुजरा, उनकी आपत्ति इस बात पर भी थी कि राजनीतिक तुष्टिकरण के लिए उन्होंने जन आराध्य हनुमान को भी जात पात में बांट दिया था। जिस भगवान को राजास्थान के देहाती अंचल में सबसे ज्यादा पूजा जाता है उसे एक वर्ग विशेष में सिमेट कर रख दिया। खासकर सवर्ण समाज के लोगों में उके इस बयान की प्रतिक्रिाय भी सुननी पड़ी थी।