मंटो के नए गाने पर हो सकता है विवाद, रैप में उठाई सामाजिक मुद्दों की बात

मुंबई.अभिनेता नवाजु्द्दीन सिद्दीकी की आगमी फिल्म मंटो का नया गाना रिलीज हुआ हैं. इस गाने को मशहूर रैपर व सिंगर रफ्तार ने गाया है. फिल्म का निर्देशन नंदिता दास कर रही हैं. हालही में फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया था.

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नवाजु्द्दीन सिद्दीकी यानि उर्दू के ख्यात कहानीकार सआदत हसन मंटो को इस गाने में रैप करते नजर आ रहे हैं. गाने में रैप के जरिए उनके विचार को बताया जा रहा है. “मंटोइयत” नाम का ये रैप सआदत हसन मंटो के जीवन पर आधारित फिल्म मंटो का पहला गाना है, जिसे रिलीज किया गया है. मंटो के विषयों को रैप के जरिए हल्के अंदाज में पेश करने पर साहित्य जगत में विवाद खड़ा हो सकता है.

सिंगर रफ्तार ने इस गाने में रैप के जरिये सामाजिक मुद्दों को उठया हैं. इसके बोल हैं, “जात में ये बांटते हैं, बांटते ये काटते हैं, इनकी मौज रात में है, लाल बत्ती वाले गिलास इनके हाथ में है, राजनीति में है चोर-पुलिस, मेरी बात तुमको सच नहीं लगती, सच्ची बात तुमको पच नहीं सकती. मुझसे नासमझ हैं दोगुनी मेरी एज के, एक पैर कब्र में है भूखे हैं ये दहेज के.”

मंटो की कहानियों में समाज की उन बुराइयों पर बात की, जिन पर कोई खुलकर सामने नहीं आना चाहता हैं. ऐसे में मंटो को रैप के जरिए पेश करना फिल्म के लिए हानिकारक हो सकता हैं.

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हांलाकि, फिल्म के ट्रेलर में मंटो का रोल निभा रहे नवाज के संवाद बेहद असरकारी और अपने समय के सच को बयां करने वाले दिख रहे हैं.

मंटो एक जगह कहते हैं कि जब हम गुलाम थे, तो आजादी का ख्‍वाब देखते थे, अब आजाद हो गए तो कौन सा ख्‍वाब देखें. एक जगह मंटोे कहते हैं, कुछ औरतें खुद को बेच तो नहीं रहीं, लेकिन लोग उन्‍हें बेचते जा रहे हैं.

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