यूं ही नहीं बना ये मंदिर खास, भरत के तीर से घायल हुए थे रामभक्त हनुमान

हनुमान जी के कई मंदिर हैं, जहां सच्चे दिल से मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती है. ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश के मंडला के सीतारपटन गांव में स्थित है. यह मंदिर बहुत ही अनोखा है. इस मंदिर में रामभक्त हनुमान विश्राम मुद्रा में विराजे हैं.

रामभक्त हनुमान

लेटे हुए हनुमान जी की मूर्ति को भक्तों द्वारा लड्डू का भोग लगाया जाता है. मंगलवार तथा शनिवार के दिन भक्तों की लंबी कतार लेटे हुए हनुमान के दर्शन के लिए पहुंचती है.

इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जिस समय लक्ष्मण मेघनाथ के शक्ति बाण से घायल होकर बेहोश हो गए थे. तब हनुमान ही ऐसे थे, जो उन्हें बचाने के लिए संजीवनी बूटी ला सकते थे.

रावण के वैद्यराज सुषेण ने राम को बताया कि लक्ष्मण के प्राण तभी बचेंगे, जब उन्हें संजीवनी दी जाएगी. इस बात को सुनकर जामवंत ने राम से कहा कि सेना में केवल हनुमान ही ऐसे हैं, जो संजीवनी ला सकते हैं और लक्ष्मण के प्राण बचा सकते हैं.

राम के आदेश पर हनुमान संजीवनी लेने जाते हैं. जब वो संजीवनी बूटी लेने के लिए उस पहाड़ के पास जाते हैं तो उन्हें संजीवनी की पहचान नहीं हो पाती. जिसके कारण वो पूरा पहाड़ ही उखाड़कर राम के पास जाने के लिए चल देते हैं. सीतारपटन गांव के लोगों की मानें तो हनुमान जब अंधेरे में पहाड़ हाथ में लिए आकाश मार्ग से जा रहे थे, तभी राम के भाई भरत ने उन्हें आकाश में देखा.

भरत ने उन्हें राक्षस समझा और उनपर बाण छोड़ दिया. भरत का बाण सीधे हनुमान को लगा और बेहोश होकर पृथ्वी पर आ गिरे. उसी समय से सीतारपटन गांव में हनुमान की मूर्ति एक शिला पर लेटी हुई है, जिसका दर्शन करने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं.

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