देवेंद्र फडणवीस की बढ़ी चिंता, महाराष्ट्र सरकार के 17 लाख कर्मचारियों ने शुरू की हड़ताल

मुंबई| महाराष्ट्र के 17 लाख कर्मचारियों ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने और लंबित मांगों को पूरा करने को लेकर मंगलवार को तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी है। हड़ताल के कारण शिक्षा और चिकित्सा विभाग सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।

आज हड़ताल है

राज्य सरकार ने सोमवार रात सभी कर्मचारियों को मंगलवार को ड्यूटी पर हाजिर होने का निर्देश दिया था और उन लोगों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और वेतन काटने की चेतावनी दी जो एमईएसएमए (महाराष्ट्र अनिवार्य सेवा अनुरक्षण अधिनियम) के तहत अपने कर्तव्यों का अनुपालन करने में नाकाम रहेंगे।

यह भी घोषणा की गई कि 1,50,000 राजपत्रित अधिकारी जो इस तीन दिवसीय हड़ताल से हट जाएंगे उन्हें 14 महीने का लंबित महंगाई भत्ता (डीए) का भुगतान किया जाएगा।

महाराष्ट्र राज्य कर्मचारी संगठन (एमएसईओ) के अध्यक्ष मिलिंद सरदेशमुख ने कहा कि तालुका स्तर तक के सभी कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे, जिसमें शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थानों व अन्य विभागों के कर्मचारी शामिल होंगे।

हड़ताल के परिणामस्वरूप मुख्यालय, मंत्रालय, कलेक्टोरेट, तहसील और तालुका स्तर पर सभी सरकारी कार्यालयों में कामकाज प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा शैक्षणिक संस्थानों, चिकित्सा एवं अन्य संबंद्ध संस्थानों में भी कामकाज प्रभावित होगा।

कर्मचारी नेता ने कहा कि महाराष्ट्र राज्य राजपत्रित अधिकारी परिसंघ भी हड़ताल में शामिल होगा, क्योंकि उन्हें आशा है कि उनकी मांगें पूरी होंगी।

सरदेशमुख ने आईएएनस से कहा, “सरकार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आश्वासन के बावजूद हमारी मांगों पर बैठी हुई है, जिसमें वेतन आयोग की रपट लागू करना शामिल है, जिसे एक जनवरी, 2016 से प्रभावी होना है।”

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सरकार यह कहते हुए मामले में देरी कर रही है कि वह इस मामले पर के.पी. बख्शी समिति की रपट का इंतजार कर रही है, क्योंकि वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने पर कर्ज के बोझ से दबे राज्य पर 21,000 करोड़ रुपये का भारी अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

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