
रिपोर्ट – सतीश कश्यप
बाराबंकी। देश में आए दिन सामने आ रही सांम्प्रद्रायिक सोहार्द बिगाड़ने की घटनाओं के बीच उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में अनोखी तस्वीर सामने आई है। यहां के एक मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को कुरान की आयतों के साथ-साथ रामायण की चौपाइयां भी पढ़ाई जाती हैं। समाज में सौहार्द का संदेश देने वाली इस पहल के बारे में जिसने भी सुना वह हैरान रह गया है।
मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना, ये कहावत बाराबंकी जिले में कोठी थाना क्षेत्र के बेलवा कस्बे में चल रहे एक मदरसे में सच कर दिखाई गई है। एक तरफ को तमाम सियासी हुक्मरान मजहब के नाम पर हिन्दू और मुस्लिम समुदायों को बांटकर अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं।
वहीं दूसरी तरफ 32 साल के युवा काजी फुरकान अख्तर ने एक ऐसी मुहिम छेड़ी है जो लोगों के लिए मिसाल बन रही है। अल-हुसैन पब्लिक स्कूल नाम के अपने मदरसे में फुरकान बच्चों को कुरान की आयतों के साथ-साथ रामायण की चौपाइयों की भी तालीम देते हैं।
काजी फुरकान अपने मदरसे में धार्मिक ग्रंथों के साथ बच्चों को इंग्लिश पढ़ाने पर भी खासा जोर देते हैं। फुरकान का कहना है कि उनका मकसद लोगों की सोच को बदलना है। लोग सोचते हैं कि मदरसे में केवल मुस्लिम बच्चे ही पढ़ेने आते हैं, जबकि ऐसा नहीं है।
फुरकान का कहना है कि एक बार वे दिल्ली से छुट्टियां बिताने अपने गांव आए थे। इस दौरान उन्हें यहां कुछ बच्चे मिले जो पढ़ना चाहते थे, लेकिन आसपास कोई अच्छा स्कूल न होने के चलते उऩको अच्छी तालीम नहीं मिल पाई। बच्चों की इसी लाचारी को देखकर मैंने अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला किया और यहां एक मदरसा खोलने का मन बनाया।