
स्वच्छ भारत अभियान के तहत लखनऊ को देश में तीसरा सबसे स्वच्छ शहर होने का गौरव प्राप्त हुआ है, लेकिन शहर के विष्णु लोक कॉलोनी के निवासियों के लिए यह उपलब्धि केवल कागजी लगती है। इस छोटी सी कॉलोनी को शहर के एक कोने में इस तरह धकेल दिया गया है कि न तो पार्षद और न ही मेयर यहाँ का हाल जानने आते हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि उनकी सड़कें और गलियाँ बदहाल हैं, और बारिश के दिनों में जलभराव की समस्या ने जीना मुहाल कर दिया है।

2009 की सड़क, 2025 में भी उपेक्षित
विष्णु लोक कॉलोनी की सड़कें 2009 में बनी थीं, और तब से इनका कोई खास रखरखाव नहीं हुआ। स्थानीय पार्षद का कहना है कि एक सड़क 17 साल तक चलती है, और इसके बाद ही उसकी मरम्मत पर विचार किया जाएगा। लेकिन निवासियों का सवाल है कि क्या 17 साल तक उन्हें कीचड़, गड्ढों और जलभराव के बीच जीना होगा? कॉलोनी के लोग हर दिन पार्षद के पास अपनी शिकायतें लेकर जाते हैं, लेकिन जवाब में उन्हें केवल मेयर के पास जाने की सलाह मिलती है।
निवासियों की व्यथा: कोई सुनने वाला नहीं
विष्णु लोक के निवासियों का कहना है कि उनकी कॉलोनी को “चकाचक” करने का कोई इरादा प्रशासन का नहीं है। बारिश के मौसम में सड़कों पर पानी भर जाता है, जिससे न केवल आवागमन मुश्किल होता है, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह खतरनाक भी है। एक निवासी ने बताया, “हम रोज पार्षद जी के घर जाते हैं, लेकिन वो कहते हैं कि मेयर से मिलो। मेयर तक हमारी आवाज कैसे पहुंचे? हम चाहते हैं कि सोशल मीडिया के जरिए हमारी बात प्रशासन तक पहुंचे।
स्वच्छता रैंकिंग का सच
लखनऊ को स्वच्छता में तीसरा स्थान मिलना निश्चित रूप से गर्व की बात है, लेकिन विष्णु लोक जैसे क्षेत्रों की अनदेखी इस उपलब्धि पर सवाल उठाती है। कॉलोनी के लोग पूछते हैं कि अगर शहर इतना स्वच्छ है, तो उनकी गलियों में गंदगी और जलभराव क्यों है? क्या स्वच्छता केवल मुख्य सड़कों और बाजारों तक सीमित है?
निवासियों की मांग
विष्णु लोक कॉलोनी के लोग मांग कर रहे हैं कि उनकी सड़कों की मरम्मत की जाए, जलभराव की समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए, और स्थानीय प्रशासन उनकी शिकायतों पर ध्यान दे। वे चाहते हैं कि मेयर और पार्षद उनकी कॉलोनी का दौरा करें और उनकी समस्याओं को समझें।

आगे की राह
लखनऊ के इस गौरवशाली शहर को अपनी स्वच्छता रैंकिंग को सही मायने में सार्थक करने के लिए विष्णु लोक जैसे उपेक्षित क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा। निवासियों की आवाज को अनसुना करना न केवल उनकी उपेक्षा है, बल्कि शहर की प्रगति में भी बाधा है। प्रशासन को चाहिए कि वह तुरंत कार्रवाई करे और इस कॉलोनी को वह सुविधाएँ दे, जो एक स्वच्छ और विकसित शहर का हिस्सा होने का हक रखती हैं।