राजनीति के इतिहास में एक ऐसा नेता, जिसनें पैंतीस रुपये के टेलीग्राम से भेजा इस्तीफा

टेलीग्रामनई दिल्ली। आजकल के राजनेताओं के लिए लाख और करोड़ रूपये कोई मायने ही नहीं रखते हैं। ऐसे समय में जब करोड़पति सांसदों, विधायकों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। लेकिन क्या आपको पता है एक समय देश में ऐसा नेता भी हुआ, जिसे पैंतीस रुपये का टेलीग्राम करना भी भारी पड़ा था।

हम बात कर रहे हैं 1950-60 के दशक में दो बार विधायक और एक बार सांसद चुने गए आदिवासी नेता लाल श्याम शाह की। लाल श्याम शाह ने कभी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया और आदिवासियों के मुद्दों को लेकर बार-बार इस्तीफा दिया था।

इस अनोखे आदिवासी नेता का जन्म 1919 में छत्तीसगढ़ में हुआ था, जिनकी अगले वर्ष जन्म शताब्दी है।

विधायक बनने के बाद शाह ने मध्य भारत में जंगलों की अवैध कटाई का मुद्दा लगातार उठाया और मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक को टेलीग्राम कर इसकी शिकायत की। शिकायत अनसुनी रही और शाह ने इस्तीफा दे दिया।

पैंतीस रुपये खर्च कर मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति को भेजा था टेलीग्राम

विधानसभा अध्यक्ष को भेजे एक टेलीग्राम में शाह ने जिक्र किया कि किस तरह उन्होंने पहले पंद्रह रुपये खर्च कर वन मंत्री को टेलीग्राम भेजा और फिर बाद में पैंतीस रुपये खर्च कर मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति को टेलीग्राम भेजा था।

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इस बात का खुलासा वरिष्ठ पत्रकार सुदीप ठाकुर की उनके जीवन पर केंद्रित किताब ‘‘लाल श्याम शाह, एक आदिवासी की कहानी’’ द्वारा हुआ।

बता दें किताब का विमोचन दिल्ली के प्रगति मैदान में छह जनवरी से शुरू हो रहे विश्व पुस्तक मेले में होगा।

यह आदिवासी नेता 1951 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में राजनांदगांव जिले की चौकी विधानसभा क्षेत्र से हार गए थे, लेकिन उनकी याचिका पर वहां दोबारा चुनाव कराने पड़े थे।

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स्वतंत्र भारत का यह दिलचस्प मामला है, जब इस विधानसभा सीट पर पांच साल के कार्यकाल के दौरान चार बार चुनाव कराने पड़े। वहीँ शाह ने ये सारे चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के हैसियत से लड़े थे।

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