रो पड़ा लता दीदी का दिल, दे डाली इन लोगों को चेतावनी

मुंबई। लता मंगेशकर भारतीय संगीत की दुनिया का वो नाम हैं जिन्‍हें कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता है। आज भले के संगीत की दुनिया की ये सुरीली आवाज बॉलीवुड से दूर है लेकिन संगीत के लिए उनका सच्‍चा प्‍यार आज भी पहले जैसा ही है उसमें कोई कमी नहीं आई है। लेकिन गुजरते वक्‍त के साथ बहुत कुछ बदलता जा रहा है जिसने उन्‍हें अंदर से तोड़कर रख दिया है। अब जब इस दुख की अति हो गई है तो लता ने अपने दर्दों को शब्‍दों में बयां कर दिया है।

लता मंगेशकर

लता मंगेशकर हमेशा से सोश मीडिया पर काफी एक्‍टिव रही है। उन्‍हें भी सोशल मीडिया की ताकत का बखूबी अंदाजा है। वह जानती है कि किसी बात को करोड़ों लोगों तक पहुंचाना है तो यह एकमात्र जरिया है, जिसके माध्‍यम से वह अपने दिल की बात बिना किसी बाधा के कह सकेंगी।

सुरों से सच्‍ची मोहब्‍बत करने वाली लता इन दिनों बहुत ही ज्‍यादा दुखी हैं। दुख इस बात है कि वह जिस संगीत कीपूजा करती हैं, जिस संगीत को उन्‍होंने और उनके दौर के संगीतकारों ने देश को बतौर धरोहर सौंपा था आज उसकी धज्जियां उड़ाई जा रही है। इस बात ने उन्‍हें अंदर से पूरी तरह तोड़ दिया है।

आज के म्‍यूजिक डायरेक्‍टरर्स, सिंगर्स, फिल्‍म मेकर्स और रकॉर्डिंग कम्‍पनियों द्वारा रीक्रिएट और रिमिक्‍स किए जा रहे पुराने गानों की वजह से वह निराश और हताश हो चुकी हैं। ट्विटर पर उन्होंने इसपर एक लंबा-चौड़ा खत लिखा है।

इसमें उन्‍होंने लिखा, ‘… गीत को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत करना यह सरासर गलत बात है। और सुना है की ऐसा ही आज हो रहा है और मूल रचयिता के बदले और किसी का नाम दिया जाता है जो अत्यंत अयोग्य है। गाने की मूल धुन को बिगाड़ना, शब्दों में मनचाहा परिवर्तन करना या फिर नए और सस्ते शब्द जोड़ना इस तरह की बेतुकी हरकतें देख-सुन सचमें पीड़ा होती है।…’

इसके अलावा भी उन्‍होंने बहुत कुछ लिखते हुए अंत में लिखा, ‘हिंदी सिनेमा-गीतों की पवित्रता कायम रखने का और यह मसला योग्य तरह से हल करने का दायित्व रेकार्डिंग कंपनीयों का है ऐसा मैं मानती हूं लेकिन दुःख इस बात का है की कम्‍पनियां ये भूल गयी हैं। यह कम्‍पनियां अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करें ,संगीत को केवल व्यावसायिक तौर पे देखने के बजाय देश की सांस्कृतिक धरोहर समझके क़दम उठाए ऐसा मेरा उनसे नम्र निवेदन है।’

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एक सच्‍चे संगीत प्रेमी होने के नाते किसी को भी सुरों की छेड़ छ़ाड़ रास नहीं आएगी। सुरों की कोकिला लता को ऐसा लगता है बल्कि संगीत श्रोताओं का भी यही मानना है। इस बात का सबूत लता के ट्वीट में किए गए यूजर्स के कमेंट बॉक्‍स में देखने को मिला है।

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