जानिए कब और किसने दिया महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ का दर्जा

नई दिल्ली। आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 69वीं पुणयतिथि है। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोड़से ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। गांधी जी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एंव अध्यात्मिक नेता थे।

महात्मा गांधी

वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया।

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महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी प्रमुख बातें :

-महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1859 को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ। उनके पिता का नाम करमचंद और माता का नाम पुतलीबाई था। बापू अपने परिवार में सबसे छोटे थे। उन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलाई, साथ ही संदेश दिया कि अहिंसा सर्वोपरि है। महात्मा गांधी को सुभाष चंद्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रेडियो रंगून से ‘राष्ट्रपिता’ कहकर संबोधित किया था।

-महात्मा गांधी ने देश को आजादी दिलाने के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किए। लेकिन उन्होंने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी से इसका पालन करने की वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परंपरागत भारतीय पोशाक धोती व सूती चादर लपेटे वह खुद चरखे पर सूत काता करते थे।

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-वह जीवन भर शाकाहारी रहे और आत्मशुद्धि के लिए लंबे-लंबे उपवास रखे। 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन जाते समय मोहनदास करमचंद गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

-उन्हें गोली मारने वाला नाथूराम गोडसे वहीं झाड़ियों में छिपा था। गांधी के समीप आते ही वह झाड़ी से निकला, उन्हें प्रणाम किया और दनादन गोलियां दाग कर राष्ट्रपिता के सीने को छलनी कर दिया। महात्मा गांधी की समाधि दिल्ली के राजघाट पर बनी हुई है, जहां अखंड ज्योति हमेशा जलती रहती है।

बापू के वो विचार जो आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं:

1.विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए। जब विश्वास अंधा हो जाता है तो मर जाता है।

2.जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।

3.पूर्ण धारणा के साथ बोला गया ‘नहीं’ सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए ‘हां’ से बेहतर है।

4.कोई त्रुटी तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती और ना ही कोई सत्य इसलिए त्रुटी नहीं बन सकता है क्योंकि कोई उसे देख नहीं रहा।

5.अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के समान है जो सतह को चमकदार और साफ कर देता है।

6.ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो। ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।

7.मैं किसी को भी अपने गंदे पांव के साथ मेरे मन से नहीं गुजरने दूंगा।

8.आदमी अक्सर वो बन जाता है जो वो होने में यकीन करता है। अगर मैं खुद से यह कहता रहूं कि मैं फलां चीज नहीं कर सकता, तो यह संभव है कि मैं शायद सचमुच वो करने में असमर्थ हो जाऊं। इसके विपरीत, अगर मैं यह यकीन करूं कि मैं ये कर सकता हूं, तो मैं निश्चित रूप से उसे करने की क्षमता पा लूंगा, भले ही शुरू में मेरे पास वो क्षमता ना रही हो।

9.आप मानवता में विश्वास मत खोइए। मानवता सागर की तरह है; अगर सागर की कुछ बूंदें गंदी हैं, तो सागर गंदा नहीं हो जाता।

10. दुनिया में ऐसे लोग हैं जो इतने भूखे हैं कि भगवान उन्हें किसी और रूप में नहीं दिख सकता सिवाए रोटी के रूप में।

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