जानिये उस तस्वीर की कहानी जिसने लाखों लोगों को इमोशनल कर दिया

नई दिल्ली। एक कहावत है ‘एक फोटो हजार शब्दों के बराबर होती है’। फोटो आज की दुनिया का ऐसा सच है जिसे हम चाहकर भी झूठला नहीं सकते है। लेकिन कुछ तस्वीरें ऐसी होती हैं कि जिन्हें आप सिर्फ देखभर लें तो ऐसा लगता है बस जीवन धन्य हो गया है। ऐसी ही तस्वीर इन दिनों सोशल मीडीया पर बमचक मचाये हुये है। उससे पहले आप खुद ये तस्वीर देंख लें।

तस्वीर तो आपने देख ली। अब बताते है क्या है इसके पीछे की कहानी। वो कहानी है कि स्कूल में पढ़ने वाली एक बच्ची जब वृद्धाश्रम पहुंची तो उसे वहां अपनी दादी मिल गईं। इसके बाद दादी, पोती एक दूसरे से लिपटकर रोने लगीं।

लेकिन इन वायरल पोस्ट में यह साफ नहीं है कि ये तस्वीर कब की है? कहां की है? तस्वीर की जो कहानी बताई जा रही है, वो सही भी है या नहीं और तस्वीर ली किसने है?

आजतक के मुताबिक, ये तस्वीर गुजरात के कल्पित ने ली है। बीबीसी गुजराती पर इस बारे में विस्तार से लिखा भी है। उन्होंने अपने लेख में तस्वीर से जुड़ी हर बारीक जानकारी शेयर की है।

वो बताते हैं, ‘अहमदाबाद के मणिनगर में एक अंग्रेजी मीडियम स्कूल है। स्कूल का नाम है-जीएनसी स्कूल। स्कूल प्रबंधन अपने 30-40 बच्चों को मणिनगर में स्थित एक वृद्धाश्रम ले गया था। बतौर फोटो पत्रकार मैं वहां पहुंचा था। हाथों में प्ले कार्ड लिए बच्चे-बच्चियां एक तरफ बैठी थीं और आश्रम की महिलाएं एक तरफ। मैंने अनुरोध किया कि अगर बच्चे और महिलाएं एक साथ बैठेंगे तो अच्छा रहेगा।’

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कल्पित आगे बताते हैं, ‘जैसे ही बच्चे और महिलाएं एक दूसरे के करीब आए वैसे ही मैंने देखा कि एक औरत एक बच्ची को देखकर जोर-जोर से रो रही है। किसी को समझ नहीं आया कि क्या हुआ। सब सन्न। तभी जिस बच्ची को देखकर महिला रो रही थी वो उससे चिपट गई और दोनों रोने लगे। इसके बाद तो आश्रम में मौजूद हर आदमी रोने लगा। मैंने खुद रोते-रोते ये तस्वीर ली थी। तबतक हमें नहीं मालूम था कि हुआ क्या? क्यों दोनों ऐसे गले मिलकर रो रहे थे। थोड़ी देर बाद जब मैंने उस महिला से पूछा तो उन्होंने कहा-ये बच्ची मेरी पोती है। इस जवाब ने एक बार फिर वहां मौजूद हर इंसान को जड़ बना दिया। थोड़ी देर तक कोई हलचल नहीं हुई। लड़की ने रोते हुए कहा-मैं घर में दादी को खोज रही थी तो मां-पापा ने बताया कि दादी बाहर गांव गई हैं।’

अगले दिन यह तस्वीर और पूरी कहानी उस अखबार के पहले पन्ने पर प्रकाशित हुई जिसके लिए कल्पित काम करते थे। पूरे अहमदाबाद शहर में हल्ला मच गया। खुद कल्पित को हजारों फोन आए। वृद्धाश्रम में टीवी के कैमरे पहुंचे तो महिला ने कहा, ‘मैं यहां अपनी मर्जी से हूं। मुझे यहां रहना अच्छा लगता है। मुझे कोई दिक्कत नहीं है।’

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11 साल पहले टीवी पर दिखाए गए उस बयान के बारे में कल्पित कहते हैं, ‘जब बा का वो बयान टीवी पर चल रहा था तो मुझे उनका रोना याद आ रहा था। वो कोई आम रोना नहीं था, वो बिलखना था। अपनों से बिछड़ने का दर्द था उस आंसुओं में, लेकिन अब उन आंसुओं को ‘बा’ पी गई थीं।’

बकौल कल्पित तस्वीर छपने के कुछ दिनों बाद खबर आई कि उस महिला को उसका परिवार आश्रम से ले गया है लेकिन जब दो साल बाद कल्पित उस आश्रम में फिर पहुंचे तो तस्वीर में दिख रही महिला उन्हें वहीं मिली थी।

 

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