मोदी सरकार ने खोज निकाला ‘प्राकृतिक आपदाओं’ से बचने का तरीका, केदारनाथ होगा सुरक्षित

केदारनाथ धाम नई दिल्ली। उत्तराखंड में 2013 की प्राकृतिक आपदा को कौन भूल सकता है। इसमें न जाने कितनों ने अपने परिवार के लोगों को खोया था। लेकिन अब ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए नई योजना बनाई गई है, जिसकी वजह से मंदिर को सुरक्षित रखा जा सकेगा।

बता दें केंद्र सरकार ने राज्य के पर्वतीय क्षेत्र में मौजूद केदारनाथ धाम को तीन दीवारों के सुरक्षा कवच से घेरने वाली पुनर्विकास योजना में कुछ बदलाव के साथ अंतिम रूप दे दिया गया है।

केन्द्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा इस तीर्थस्थल को प्राकृतिक आपदाओं से स्थायी सुरक्षा प्रदान करने के उपाय किए गए हैं।

मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंजूरी से संशोधित योजना में तीन अहम बदलाव शामिल किए गए हैं।

इनमें मंदिर परिसर को तीन स्तरीय सुरक्षा कवच से घेरना, साधकों की आध्यात्मिक साधना के लिये केदारनाथ धाम के आसपास पहाड़ियों में गुफायें बनाना और तीर्थयात्रियों के रुकने ठहरने सहित किसी भी मकसद से होने वाले निर्माणकार्यों को नदी के बहाव की दिशा में ही करने की बाध्यता को शामिल किया गया है।

बता दें इस पूर्व योजना में मंदिर परिसर को दीवारों के दो स्तरीय सुरक्षा कवच से घेरने की बात कही गई थी।

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इस पुनर्निर्माण योजना के तहत दोनों नदियों के किनारे तीर्थयात्रियों के ठहरने और अन्य सुविधाओं के लिये जमीन की सतह से निर्धारित ऊंचाई पर ही निर्माणकार्य सुनिश्चित किया जाएगा।

बता दें प्रत्येक इमारत का निर्माण नदी के बहाव की दिशा में ही होगा। साथ ही मौसम पर निगरानी के लिए चोराबारी क्षेत्र में दो निगरानी टावर बनाए जाएंगे।

वास्तु से जुड़ी परंपरा पर आधारित होगा निर्माण कार्य

योजना के तहत इमारतों को बनाने में स्थानीय निर्माण सामग्री और वास्तु से जुड़ी पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल करने की बात कही गई है। इसमें कम ऊंचाई वाली इमारतों को अधिकतम दो मंजिल तक ही बनाने की ताकीद की गई है। साथ ही मंदिर परिसर में मुख्य इमारत के चारों ओर 50 मीटर के दायरे में कोई भी निर्माणकार्य नहीं होगा।

इससे निर्माणकार्य की विघ्नबाधा से मुक्त रखने के लिए समूचे परिसर को पूरी तरह से खुला रखा जा सके। इसका मकसद आपात जैसी परिस्तिथियों से बचना है।

हर साल आते हैं 6 लाख तीर्थयात्री

केदारनाथ धाम यात्रा करने हर साल लगभग छह लाख श्रद्धालुगण दर्शन के लिए जाते हैं। संशोधित योजना में साधकों को ध्यान एवं योग साधना के लिए मंदिर परिसर के आसपास गुफाएं और एक संग्रहालय बनाने का भी प्रावधान किया गया है।

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उल्लेखनीय है कि 1500 करोड़ रुपये की लागत की इस योजना को राज्य सरकार की भागीदारी से पांच साल में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है।

पीएम मोदी ने पिछले वर्ष दिखाई थी योजना को हरी झंडी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष केदार नाथ मंदिर के आसपास दो वर्ग किमी क्षेत्रफल में 750 करोड़ रुपये की पुनर्निर्माण योजना को हरी झंडी दिखाई थी।

इसके तहत केदारनाथ धाम को अंग्रेजी अक्षर के ‘U’ अक्षर के आकार की तीन दीवारों से घेरते हुए सरस्वती और मंदाकिनी नदी की धारा के समानांतर पूरे परिसर को घेरते हुये ‘यू’ आकार में बोल्डर की पहली दीवार बनाई जाएगी।

इसके बाद दूसरा घेरा धातु की जालियों के कवच वाली पत्थरों की दीवार का और तीसरा घेरा कंक्रीट की दीवार का होगा।

बता दें इससे पूर्व की योजना में दो स्तरीय सुरक्षा घेरा ही बनाया जाना था।

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