हाईकोर्ट ने काशीपुर में हिरासत में मौत की जांच सीबीआई को सौंपी

नैनीताल सीबीआईनैनीताल। पुलिस द्वारा अगर मुजरिम हिरासत में हो तो पुलिस पर उस मुजरिम की कुछ जिम्म्दारियां भी होती है। अगर हिरासत की परिस्थिति में उस मुजरिम की मौत हो जाती है, तो पुलिस को सरकार से ही जवाब देही करनी पड़ती है। कुछ इसी तरह का मामला काशीपुर से आया है। यहां एक किशोर की संदिग्ध अवस्था में फांसी लगने से मौत हो गयी थी।

किशोर के परिजन इसे स्वीकरा नहीं कर रहे थे। जिसके चलते नैनीताल हाईकोर्ट ने काशीपुर पुलिस को सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। साल 2017 में 26 फरवरी को काशीपुर की कटोराताला पुलिस चौकी ने ज़ियाउद्दीन नाम के एक किशोर को गिरफ्तार किया था। उस किशोर पर  एक लड़की को भगा ले जाने का आरोप था।

पुलिस की गिरफ्त में आए किशोर की 28 फरवरी को पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। परिजनों को उसकी मौत का कुछ ऐंगल समझ में नहीं आ रहा है, लेकिन पुलिस का दावा है कि ज़ियाउद्दीन ने फांसी लगा कर मौत को अंजाम दिया है।

मुंबई एक बार फिर डूबा, स्कूल-कॉलेज-ट्रेन सब बंद, भारी बारिश के अनुमान से रेड अलर्ट

परिवारवालों का कहना है, कि युवा की मौत संदिग्ध है। परिजनों ने  इस मामले की जांच के लिए सीबीआई द्वारा जांच कराई जाने की मांग की है। हाईकोर्ट ने हिरासत में मौत को बेहद संगीन मानते हुए खुद ही मामले का संज्ञान लिया था।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि पुलिस हिरासत में हुई संदिग्ध मौत के मामले में तटस्थ जांच क्यों नहीं की जानी चाहिए। अदालत ने मौत की संदेहास्पद परिस्थितियों के बारे में कई सवाल उठाए।

ज़ियाउद्दीन के अपनी सेल के छत के कुंडे से लटकता हुआ पाया गया था। पुलिस के फांसी के दावे के बारे में अदालत ने पूछा कि केवल पांच फुट पांच इंच लंबा ज़ियाउद्दीन लटकने के लिए वह 12 फुट उंची छत तक कैसे पहुंचा।

मंगलवार को फ़ैसला सुनाते हुए अदालत ने इस मामले की जांच सीबीसीआईडी से लेकर सीबीआई को सौंपने को  कहा, साथ ही राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने के भी निर्देश दिए।
बिहार में उद्घाटन से पहले टूटा करीब चार सौ करोड़ से बना बांध

LIVE TV