Kashi Dev Deepawali 2020: हमारा प्रयास देश की विरासत को बचाने का है, पीएम नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बटन दबा कर सिक्स लेन का लोकार्पण किया। 73 किलोमीटर का यह मार्ग प्रयागराज व वाराणसी को जोड़ेगा। दिसंबर 2014 से इस मार्ग का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। खुजरी की जनसभा के बाद अब प्रधानमंत्री गंगा उस पार डोमरी स्थित भगवान अवधूत राम घाट पहुंचे। इसके बाद क्रूज से विश्‍वानाथ मंदिर कारिडोर पहुंच कर बाबा विश्‍वनाथ की पूजा की और अब जल मार्ग से राजघाट पहुंच रहे हैं। यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीप जलाकर देव दीपावली का शुभारंभ किया। इसके साथ ही शिव आराधना के साथ ही सांस्‍कृतिक कार्यक्रम हुआ। इसके बाद मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगाें को संबोधित किया।

राजघाट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्तिक माह में काशी में गंगा नहान की चर्चा ठेठ बनारसी अंदाज में की। कहा कि, काशी जीवंत है, काशी की गलियां ऊर्जावान है। आज काशी गंगा तट पर प्रकाश गंगा का उत्‍सव मना रही है। काशी मां अन्‍नपूर्णा के आगमन की खुशी में मना रही है। देव दीपावली की साक्षी स्‍वंय महादेव बने हुए है। काशी की महिमा ही ऐसी है। काशी तो आत्‍म ज्ञान से प्रकाशित होती है। काशी पूरे विश्‍व को प्रकाश देने वाली है। हर युग में काशी ने विश्‍व का मार्ग दर्शन किया है। काशी के लोग भी देव स्‍वरूप है और काशी के 84 घाटों को देवता ही प्रज्‍ज्‍वलित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा मइया की जय, बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ की जय। नमो बुद्धाय सभी काशीवासियों को, सभी देशवासियों को कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली की हार्दिक शुभकामना। सभी को गुरुनानक देव जी के प्रकाश पर्व की बहुत बहुत बधाई।

नारायण के विशेष महीना माने जाने वाले कार्तिक के लोग कार्तिकी पुनवासी कहेलें। ए पुनवासी पर डुबकी अउर दान पुण्य के महत्व रहल हे। केहु पंचगंगा, दशाश्वमेध ते अस्सीघाट पर डुबकी लगावत आयल हौ। ज्ञानवापी धर्मशाला त पटल रहत रहल। पं. रामकिंकर महाराज पूरी कार्तिक महीना बाबा के कथा सुनावत रहलें।

कोरोना काल ने भले बहुत कुछ बदल दिया है लेकिन काशी की यह ऊर्जा, भक्ति- शक्ति को कोई थोड़े बदल सकता है। सुबह से ही काशीवासी स्नान, ध्यान और दान में ही लगे हैं। काशी वैसे ही जीवंत है। काशी की गलियां वैसी ही ऊर्जा से भरी हैं। काशी के घाट वैसे ही दैदीप्यमान है। यही तो मेरी अविनाशी काशी है। आज काशी गंगा तट पर प्रकाश का उत्सव मना रही है। मुझे भी प्रकाश गंगा में डुबकी लगाने का मौका मिल रहा है। सिक्स लेन लोकार्पण में उपस्थित रहने का अवसर मिला। यहां आने से पहले काशी विश्वनाथ कारिडोर जाने का मौका मिला। रात में सारनाथ में लेजर शो का हिस्सा बनूंगा। इसे महादेव का अाशीर्वाद और आप काशीवासियों का स्नेह मानता हूं। काशी के लिए एक और विशेष अवसर है। आपने सुना होगा, कल मन की बात का उल्लेख किया था, योगी जी ने भी दोहराया। सौ साल से भी पहले माता अन्नपूर्णी की जो मूर्ति काशी से चोरी हो गई थी, वो फिर वापस आ रही है। माता अन्नपूर्णाी एक बार फिर अपने घर लौट कर आ रहीं हैं। काखी के लिए यह सौभाग्य की बात है। हमारे देवी- देवताओं की प्राचीन मूर्तियां अमूल्य विरासत हैं। इतना प्रयास पहले किया गया होता तो न जाने कितनी मूर्तियां देश को काफी पहले मिल गई होंती लेकिन लोगों की सोच दूसरी रही है। हमारे लिए विरासत का अर्थ है देश की धरोहर जबकि कुछ लोगों के लिए विरासत का मतलब होता है अपना परिवार। हमारे लिए विरासत का मतलब है, संस्कृति व मूल्य। उनके लिए विरासत का अर्थ है अपनी प्रतिमाएं, अपने परिवार की तस्वीरें। ऐसे में उनका ध्यान अपने परिवार की विरासत को बचाने में रहा। हमारा प्रयास देश की विरासत बचाने का है। देशवासियों बताइए सही कर रहा हूं। यह सब आपके आशीर्वाद से हो रहा है।

आज जब काशी की विरासत लौट रही है तो लग रहा है जैसै काशी इस खबर को सुनकर सजी- संवरी है। लाखों दीपों से काशी के चौरासी घाटों का जगमग होना अद्भूत है। गंगा की आभा को यह प्रकाश और भी सुंदर बना रहा है। लग रहा है जैसै पूर्णिमा पर देव दीपावली मना रही काशी महादेव के माथे पर चंद्रमा की तरह चमक रही है। काशी की महिमा ही एेसी है। शास्त्रों में कहा गया है-काशी तो आत्मज्ञान से प्रकाशित होती है, अतः काशी पूरे विश्व को प्रकाश देने वाली है। पथ- प्रदर्शन करने वाली है। हर युग में काशी के इस प्रयास से किसी न किसी महापुरुष की तपस्या जुड़ जाती है और काशी दुनिया को रास्ता दिखाती रहती है।

हम जिस देव दीपावली का दर्शन कर रहे हैं, इसकी प्रेरणा आदि शंकराचार्य ने दी। अहिल्या बाई होल्कर ने इसे आगे बढ़ाया। उनके द्वारा स्थापित हजारा इस परंपरा का साक्षी है। उन्होंने त्रिपुरासुर राक्षस की कथा सुनाई। काशी से गुरुनानक देव ने लोगों को मार्ग दिखाया। सुधार की प्रक्रिया शुरू की और हर बदलाव का विरोध होता रहा है। चाहे वह किसानों के लिए बना नया कृषि कानून हो या काशी में विश्‍वनाथ कारिडोर ही क्‍यों न हो कई लोगों ने विरोध किया। लोगों ने चाह लिया तो श्रीराम मंदिर का निर्माण शुरू हो गई। बनारस में विकास की गति भी तेज गति से हो रहा है। प्राचीन बनारस का बदलता आधुनिक रूप दिखाई देेने लगा है। कोरोना संक्रमण काल में काशी के लोगों ने जो सेवा किया उसके लिए मैं आपके सेवा भाव को प्रणाम करता हूं। मैं भी आपकी सेवा में कोई कमी नहीं रहने दूंगा। देव दीपावली और गुरु नानक जयंती की बधाई के साथ संबोधन समाप्‍त किया। अंत में जय काशी, जय मां भारती और हर-हर महादेव का जयघोष हुआ।

देवी अन्नपूर्णा की सौ साल पहले चोरी हुई प्रतिमा भारत को मिली। आखिर 107-108 वर्षों तक किसी सरकार की नजर उस ओर न पड़ी। हम क्यों इतने वर्षों तक मौन रहे। पीएम ने योग को वैश्विक मंच दिया। कुंभ को गंदगी व अव्यस्था का मंच बना दिया था। पीएम ने इस सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक रूप दिया।


मां गंगा का अविरलता निर्मलता किसी से छिपी नहीं है। कभी इसमें डुबकी लगाने पर शरीर पर लाल चकत्ते निकल आते थे। आज गंगा स्नान ही नहीं आचमन के लायक भी हो गयी है। यह नमामि गंगे के सफल क्रियान्वयन से मूर्त रूप ले सका। मां गंगा का संबंध भगवान विश्वनाथ के साथ किस तरह है, गंगा काशी में आाईं तो भैरव ने रोकने के प्रयास किया। गंगा ने बाबा का चरण पखारने का आग्रह किया। विघ्न-बाधा न डालने का भरोसा दिलाने पर उन्हें यह मौका मिला। पीएम मोदी के कारण काशी विश्वनाथ धाम पर वह रूप एक बार फिर मूर्त रूप ले सका है। काशी आज जिस रूप में हम सबके सामने है, हमारे आपके लिए गौरव है।

बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन के बाद पीएम अलकनंदा रोरो यान से राजघाट पहुंचे। घाट के विशाल प्लेटफार्म पर बनाए गए मंच पर विराजमान हुए। देव दीपावली का पहला दीप जलाया और काशी की विशाल घाट श्रृंखला पर मानो छोटे-छोटे दीपों के रूप में सितारों की बरसात हो गई। शहर के इस उत्तरी छोर पर स्थित राजघाट से ही दक्षिण ओर फैली घाट श्रृंखला के साथ ही उस पार रेती तक में उभर आई देव दीपावली की अद्भुत छटा पर नजर डाल पीएम विभोर हो उठे।

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