जीवन पर आने वाले बड़े से बड़े संकट का नाश करता है कलावा, विज्ञान भी हैरान

कोई भी शुभ काम हो कलावे के बिना पूरा नहीं होता. ये परंपरा सदियों से चली आ रही है. कच्‍चे सूत से तैयार कलावा जब तक कलाई पर नहीं बांधा जाता तब तक पूजा पूर्ण नहीं होती.

कलावा

शास्त्रों में कहा गया है कि हाथ में कलावा बांधने से त्रिदेव और तीनों महादेवियों की कृपा प्राप्त होती है. कलावा देवों के आशीर्वाद का साक्षात प्रमाण होता है. इसे बांधने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है.

कलावा यानी मौली का अर्थ?

कलावा यानी मौली का अर्थ है सबसे ऊपर. इसी वजह से भगवान शिव के मस्तक पर चंद्रमा के विराजमान होने पर इनको चन्द्रमौलि भी कहा जाता है. मौली बांधने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता है.

शास्त्रों के अनुसार कलावा यानी मौलि बांधने की परंपरा की शुरुआत देवी लक्ष्मी और राजा बलि ने की थी. इसे बांधने से महालक्ष्मी की कृपा से धन-संपत्ति, महासरस्वती की कृपा से विद्या-बुद्धि और महाकाली की कृपा से शक्ति प्राप्त होती है. साथ ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेवों की कृपा भी मिलती है.

मौली बांधने का मंत्र :

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

वैज्ञानिक तर्क

विज्ञान के अनुसार शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं. अगर हाथ में कलावा बांधा जाए तो इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है. इससे रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसी बीमारियों को रोकने में मदद मिलती है.

मौली बांधने का नियम

शास्त्रों के अनुसार पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए. कलावा बंधवाते समय हाथ की मुट्ठी बंद होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए. विवाहित महिलाओं को इसे बाएं हाथ में बांधना चाहिए.

LIVE TV