कजरी तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं के अति महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अपने पति की दीर्घायु की कमाना करती हैं। कजरी तीज का व्रत हर साल भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। साल कजरी तीज का व्रत 25 अगस्त दिन बुधवार को रखा जाएगा। कजरी तीज को कजली तीज, बूढ़ी तीज और सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है।

कजरी तीज पूजा विधि
कजरी तीज के दिन महिलाएं सुबह स्नान के बाद भगवान शिव और माता गौरी की मिट्टी या गाय के गोबर की मूर्ति बना लें। या फिर बाजार से भगवान शिव व गौरी माता की मूर्ति खरीद कर लायें। अब पूजा चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर व्रती महिलाएं माता गौरी और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद शिव-गौरी का विधि विधान से पूजन करें। पूजन के दौरान माता गौरी को सुहाग के 16 सामग्री चढ़ाएं। जबकि भगवान शिव को बेल पत्र, गाय का दूध, मदारका फूल, गंगा जल, धतूरा, भांग आदि अर्पित करें। इसके बाद शिव-गौरी की कथा सुनें। अब धूप और दीप जलाकर आरती करें। शाम को चन्द्रमा के दर्शन के बाद व्रत का पारण करें।

कजरी तीज का शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि प्रारंभ- शाम 4 बजकर 05 मिनट से (24 अगस्त)
तृतीया तिथि समाप्त – शाम 04 बजकर 18 मिनट तक (25 अगस्त)