सुरों के साथ एक्टिंग में भी हुए सुपरहिट, दो दशक तक किया इंडस्ट्री पर राज

मुंबईः सिंगर-एक्टर के एल सहगल का आज 114वां जन्मदिन है. उनका जन्म 11 अप्रैल 1904 को हुआ था. उनकी आवाज के जादू ने सभी को अपना मुरीद बनाया है. भले ही आज वह हमारे साथ नहीं हैं. लेकिन उनके गाने हमेशा मौजूदगी का अहसास दिलाते रहेंगे. के एल सहगल के जन्मदिन पर गूगल ने भी डूडल बनाकर ट्रिब्यूट दिया है.

के एल सहगल

आज के डूडल को विद्या नागराजन ने बनाया है, जिसमें सहगल को गाना गाते हुए दिखाया गया है. सहगल को बचपन से ही गाने में इंटरेस्ट था. वह अपनी मां के साथ भजन- कीर्तन के कार्यक्रमों में जाते थे. उन्हें बचपन से ही संगीत की बारिकियां पता थीं.

उन्होंने ‘एक बंगला बने न्यारा, रहे कुनबा जिसमें सारा’ से रिश्तों ‘हाय हाय ये जालिम जमाना’ ‘बाबुल मोरा नैहर छूटो जाये’,‘बालम आये बसो मेरे मन में’ जैसे हिट गाने दिए.

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उन्‍होंने जीवनयापन करने के लिए रेलवे में टाइमकीपर की छोटी सी नौकरी भी की थी. बाद में उन्‍होंने रेमिंगटन नामक टाइपराइटिंग मशीन की कंपनी में सेल्समैन की नौकरी भी की. उसके बाद कोलकाता के न्यू थियेटर के बी.एन.सरकार ने उन्हें 200 रुपए मासिक पर अपने यहां काम करने का मौका दिया.

साल 1932 में एक उर्दू फिल्म ‘मोहब्बत के आंसू’ में एक्टिंग करने का मौका मिला. इसी साल उन्‍होंने दो और फिल्में ‘सुबह का सितारा’ और ‘जिन्दा लाश’ में काम किया. साल 1933 में फिल्म ‘पुराण भगत’ की कामयाबी से गायकी को पहचान मिली.

दो दशक के करियर में सहगल ने लगभग 36 फिल्‍मों में अभिनय किया. हिंदी के अलावा उन्होने उर्दू, बंगला, तमिल फिल्मों में भी अभिनय किया. सहगल ने लगभग 185 गीत गाए, जिनमें 142 फिल्मी और 43 गैर फिल्मी हैं. सहगल ने 18 जनवरी 1947 को दुनिया को अलविदा कह दिया था.

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