‘न्यायाधीश लोया की मौत की जांच की मांग राजनीति से प्रेरित’ : महाराष्ट्र सरकार

महाराष्ट्र सरकारनई दिल्ली| महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि न्यायाधीश बी.एच. लोया की मौत की स्वतंत्र जांच के संबंध में दाखिल याचिका अप्रत्यक्ष रूप से प्रेरित, अपुष्ट मीडिया की खबरों पर आधारित और ‘वहां एक राजनीतिक दल के विशेष पदाधिकारी की वजह’ से इसे योजना बनाकर पेश किया गया। ‘एक राजनीति दल के विशेष पदाधिकारी’ से तात्पर्य भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह से है, जोकि कथित रूप से सोहराबुद्दीन शेख शूटआउट मामले में आरोपी थे। शाह को इस मामले से आरोपमुक्त कर दिया गया है।

न्यायमूर्ति लोया सीबीआई के उस विशेष अदालत के न्यायाधीश थे, जहां इस मामले की सुनवाई हो रही थी।

वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने स्वतंत्र जांच के संबंध में दाखिल याचिका को ‘अप्रत्यक्ष मकसद’ बताया।

सोमवार को सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता, बांबे वकील संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कमिश्नर ऑफ इंटिलिजेंस द्वारा उच्च न्यायालय के चार न्यायाधीशों को भेजे गए संवाद की प्रति मांगी।

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रोहतगी ने कहा कि उसने खुद ही इसे नहीं देखा है और कहा कि इसे वरिष्ठ वकीलों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।

रोहतगी ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ से कहा कि अगर न्यायालय ने न्यायाधीशों के न्यायमूर्ति लोया की मौत स्वाभाविक तरह से होने के बयान को खारिज कर दिया था, तो इसका प्रथम दृष्टया मतलब है कि उनकी मौत के पीछे कोई षड्यंत्र था।

उन्होंने अदालत को बताया कि आरोप यह है कि न्यायमूर्ति लोया की अस्वाभाविक मौत हुई है और वह किसी बीमारी से भी नहीं मरे थे।

प्रेसवार्ता और न्यायाधीश लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग किए जाने का हवाला देते हुए रोहतगी ने कहा कि मामले का राजनीतिकरण कर दिया गया है और इसमें आगे कोई जांच राजनीतिक हथकंडा बनेगी।

रोहतगी ने जनहित याचितका पर शीर्ष अदालत के पूर्व फैसले को हवाला देते हुई अपनी दलील शुरू की। उन्होंने कहा कि अपुष्ट मीडिया रपटें कानूनी रूप से स्वीकार्य साक्ष्य नहीं हो सकती हैं।

याचिका के पीछे परोक्ष मकसद बताते हुए उन्होंने कहा कि सोहराबुद्दीन मामले में सुनवाई न्यायाधीश लोया की मौत के तीन साल बाद शुरू हुई। उन्होंने पीठ से कहा, “ऐसा नहीं है कि उनको न्यायपालिका से कोई सहानुभूति है या न्यायाधीश लोया की मौत की चिंता।”

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अदालत के सामने सिलसिलेवार ढंग से घटनाक्रम को पेश करते हुए उन्होंने न्यायाधीश लोया के दो अन्य न्यायाधीशों के साथ नागपुर में एक शादी समारोह में शिरकत करने 29 नवंबर 2014 की शाम मुंबई से रवाना होने से लेकर एक दिसंबर को उनकी मौत तक की घटनाओं का जिक्र किया और कहा कि किसी भी समय लोया अकेले नहीं थे।

सामाजिक कार्यकर्ता तेहसीन पूनावाला, महाराष्ट्र के पत्रकार बंधुराज संभाजी लोन, बांबे अधिवक्ता संघ, व अन्य की ओर से मामले में स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए दायर याचिका पर उपहास करते हुए रोहतगी ने कहा कि यह सब कारवां नाम की समाचार पत्रिका में एक आलेख प्रकाशित होने के बाद शुरू हुआ।

रोहतगी ने कहा, ” इस संबंध में न तो कोई गृहकार्य किया गया और न ही आलेख की विषय वस्तु की कोई जांच की गई और आप सुनी हुई बात पर विश्वास करके सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच जाते हैं।”

रोहतगी 16 फरवरी को मामले में अपनी दलील जारी रखेंगे।

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