अयोध्या विवाद पर जब आमने-सामने हुए रहमानी-नदवी तो निकला ये निचोड़! बन सकते हैं 1992 जैसे हालत?

नई दिल्ली। सियासत के दांव पेंचों के बीच अधर में लटका राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामला तो हल नहीं हो रहा, लेकिन इस मामले पर वाद-विवाद और परिचर्चा का रुख कायम है। कोई मंदिर की पैरवी करता है तो कोई मस्जिद की। पर लाख कोशिशों के बावजूद दोनों पक्षों को एकमत करने का लक्ष्य अभी भी अधर में ही फंसा हुआ है।

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राम मंदिर और बाबरी मस्जिद

हाल ही में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) से निकाले गए मौलाना सलमान नदवी ने यहां तक कह दिया कि यदि 1992 जैसे हालत से बचना है तो मुस्लिम कहीं और मस्जिद बनाने का मन बना लें। बता दें मौलाना नदवी काफी समय से दोनों पक्षों में एक राय बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

बता दें इसी विवाद को लेकर नदवी की सुलह की कोशिशें ही उनके पर्सनल लॉ बोर्ड बोर्ड से बाहर होने का सबब बनीं।

बता दें कि मौलाना नदवी काफी समय से राम मंदिर मुद्दे पर पैरोकार भूमिका में हैं। पिछले दिनों वह आर्ट ऑफ लिंविंग के गुरु श्री श्री रविशंकर से मिले थे और राम मंदिर को लेकर बात की थी, कहा जा रहा है कि उनकी इसी बात से नाराज होकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।

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वहीं एक निजी चैनल की डिबेट के दौरान मौलाना नदवी ने कहा कि उनके साथ एक नहीं, हजारों लोग हैं और वह अयोध्या मुद्दे पर अमन और चैन की बात करते रहेंगे।

मौलाना नदवी ने डिबेट में कहा कि मुसलमानों को शांति के लिए मस्जिद किसी और जगह बना लेनी चाहिए। नदवी अयोध्या के राम मंदिर मुद्दे पर बात कर रहे थे।

इस डिबेट में मुस्लिम पॉलिटिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमपीसीआई) के नेता तस्लीम रहमानी भी थे। रहमानी ने मौलाना सलमान नदवी पर सिसायी दलों की हिमायत करने और अपने स्वार्थ के लिए काम करने के आरोप भी लगाए।

रहमानी ने राम मंदिर के मुद्दे पर कहा कि वह हमेशा से अमन के पैरोकार रहे हैं, इसलिए जो रास्ता चैन और अमन का है, भाईचारे का है, उस पर काम करना चाहिए।

सलमान नदवी ने कहा, “हमारी शरीयत में इस बात की गुंजाइश हैं कि मस्जिद जहां थी, उसको हटाकर के और कहीं भी बनाया जा सकता है। अगर जहां मस्जिद थी, वहां वो ढहा दी गई और मस्जिद की वजह से झगड़े हैं, और खून बह सकता है और बहा 1992 में तो इसलिए ऐसी शक्ल में शरीयत का ये हुक्म आसानी वाला है, सहूलियत वाला है, इससे एतमाद पैदा होता है। उस हुक्म को इख्तियार करके मस्जिद की जगह तब्दील कर देना चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा, “आगे किसी मस्जिद के साथ या दरगाह, मदरसे के साथ कोई छेड़छाड़ न हो, इसकी जमानत लेनी है। इसका मुआवजा करना है। सुप्रीम कोर्ट में भी इसको रजिस्टर्ड करना है।”

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वहीं डिबेट में रहमानी ने मौलाना नदवी के मस्जिद ‘ढहाए’ वाले शब्द पर एतराज जताकर तीखी प्रतिक्रिया दी।

रहमानी ने कहा कि 1992 से लेकर आज तक बाबरी मस्जिद ढहाए जाने से नहीं, जो लफ्ज मौलाना इस्तेमाल कर रहे हैं, मस्जिद को ढहाना, मैं कहता हूं मस्जिद को शहीद करना, ये फर्क है, मौलाना के और मेरी बात में, वो मस्जिद को ढहाने का लफ्ज इस्तेमाल कर सकते हैं, मैं मस्जिद की शहादत का लफ्ज इस्तेमाल करूंगा।

उन्होंने कहा, “1992 से आजतक मैंने हर पब्लिक मीटिंग में कहा है कि हिंदुस्तानी मुसलमानों के दिल पर लगा हुआ एक ऐसा जख्म है कि अगर ये जख्म हमारे अंदर से भर भी गया, हम इसको खुरच के जख्म को जिंदा कर देंगे।”

रहमानी की इस बात पर टीवी एंकर भड़क गईं और उनसे कहने लगीं कि आप डर की राजनीति खेलते हैं और अब आप टीवी पर अल्टीमेटम दे रहे हैं… वो भी पूरे देश को।

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