झारखंड के दिग्गज नेता शिबू सोरेन का निधन: हेमंत सोरेन ने कहा- आज मैं शून्य हो गया

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक संरक्षक शिबू सोरेन का दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। 81 वर्षीय शिबू सोरेन लंबे समय से बीमार थे और जून 2024 के अंतिम सप्ताह से किडनी संबंधी समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती थे।

डेढ़ महीने पहले उन्हें स्ट्रोक का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद से वह पिछले एक महीने से वेंटिलेटर पर थे। अस्पताल ने सुबह 8:56 बजे उन्हें मृत घोषित किया। उनके बेटे और वर्तमान झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दुख व्यक्त करते हुए लिखा, “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूँ…”

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को तत्कालीन बिहार के रामगढ़ जिले (वर्तमान झारखंड) के नेमरा गांव में एक संथाल आदिवासी परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्होंने आदिवासी समुदाय के शोषण, अन्याय और भूमि हड़पने की समस्याओं को देखा। 1960 के दशक में उन्होंने आदिवासी अधिकारों और जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष शुरू किया। 1972 में उन्होंने वामपंथी ट्रेड यूनियन नेता एके रॉय और कुर्मी-महतो नेता बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की। इस संगठन का मुख्य लक्ष्य आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा और अलग झारखंड राज्य की मांग था। उनके नेतृत्व में JMM ने आदिवासियों की जमीन छीनने और शोषण के खिलाफ कई आंदोलन चलाए, जिसमें जबरन फसल कटाई और सामंतों-महाजनों के खिलाफ त्वरित न्याय के लिए जन-अदालतें शामिल थीं।

1980 में शिबू सोरेन पहली बार दुमका से लोकसभा सांसद चुने गए और 1980 से 1984, 1989 से 1998 और 2002 से 2019 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। वह 2004, 2004-2005 और 2006 में केंद्र में कोयला मंत्री भी रहे। उनके प्रयासों से 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ। इसके बाद वह तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने—2005 में 10 दिन, 2008-2009 और 2009-2010 में—लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के कारण उनका कार्यकाल लंबा नहीं रहा। उन्होंने आदिवासी कल्याण, रोजगार और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कई पहल कीं। हालांकि, उनकी राजनीतिक यात्रा विवादों से अछूती नहीं रही। 1994 में उनके निजी सचिव शशि नाथ झा की हत्या और 1975 के चिरुडिह मामले में वह आरोपित हुए, हालांकि बाद में कई मामलों में बरी हो गए।

शिबू सोरेन को झारखंड में “दिशोम गुरुजी” के नाम से जाना जाता था। उनकी मृत्यु पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, “शिबू सोरेन एक जमीनी नेता थे, जिन्होंने जनसेवा के लिए अटूट समर्पण दिखाया। वह आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों के सशक्तिकरण के लिए विशेष रूप से समर्पित थे। उनके निधन से दुख हुआ। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं।” JMM प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा, “शिबू सोरेन के निधन से झारखंड के लिए एक युग का अंत हो गया। उन्होंने हमें आवाज और ताकत दी।”

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