
राजस्थान के जैसलमेर जिले में भारत-पाकिस्तान सीमा के संवेदनशील लोंगेवाला क्षेत्र में गुरुवार देर शाम सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने एक संदिग्ध ड्रोन बरामद किया, जिस पर ‘मेड इन चाइना’ लिखा हुआ है। ड्रोन पर हाई-रिजॉल्यूशन कैमरा लगा हुआ है, जिससे जासूसी की आशंका गहरा गई है। बीएसएफ ने लोंगेवाला सेक्टर की सभी चौकियों को हाई अलर्ट पर रखा है और ड्रोन की उत्पत्ति व संचालन की जांच शुरू कर दी है।

बीएसएफ की जी-ब्रांच को गुप्त सूचना मिली थी कि लोंगेवाला सीमा के पास एक संदिग्ध ड्रोन गिरा हुआ है। जैसलमेर सेक्टर साउथ के सतर्क जवानों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए अंतरराष्ट्रीय सीमा के समीप ड्रोन को बरामद किया। बीएसएफ राजस्थान फ्रंटियर के महानिरीक्षक एम.एल. गर्ग ने पुष्टि की कि ड्रोन पर लगा कैमरा भारतीय सैन्य और बीएसएफ गतिविधियों की निगरानी के लिए इस्तेमाल हो सकता था। उन्होंने कहा, “यह पता लगाने के लिए गहन जांच चल रही है कि ड्रोन भारतीय क्षेत्र से उड़ाया गया था या सीमा पार से आया।”
प्रारंभिक जांच में ड्रोन आकार में छोटा और हल्का पाया गया, जो हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे से लैस है। सुरक्षा एजेंसियां ड्रोन की रेंज, फ्लाइट पाथ, डेटा फीड, और तकनीकी क्षमताओं का विश्लेषण कर रही हैं। ड्रोन को दिल्ली के ड्रोन फोरेंसिक लैब भेजा जाएगा, जहां इसके मेमोरी चिप और जीपीएस डेटा की जांच होगी। सूत्रों के अनुसार, चूंकि ड्रोन ‘मेड इन चाइना’ है, इसकी स्थानीय स्तर पर संचालन की संभावना कम लग रही है। संदेह है कि इसे पाकिस्तान ने सीमा पार से भारतीय सुरक्षा बलों की गतिविधियों की जासूसी के लिए उड़ाया हो सकता है।
लोंगेवाला क्षेत्र 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान प्रसिद्ध युद्ध का गवाह रहा है, जहां भारतीय सेना और बीएसएफ ने पाकिस्तानी सेना को करारी शिकस्त दी थी। यह क्षेत्र सामरिक रूप से अत्यंत संवेदनशील है, जहां सेना और बीएसएफ की सालभर मौजूदगी रहती है। बीएसएफ की निगरानी अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 15 किलोमीटर तक फैली हुई है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस क्षेत्र में ड्रोन गतिविधियों और अन्य संदिग्ध गतिविधियों में वृद्धि देखी गई थी।
जैसलमेर जिला प्रशासन ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में आम नागरिकों द्वारा ड्रोन उड़ाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बावजूद संदिग्ध ड्रोन का मिलना सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। बीएसएफ ने सीमा पर गश्त बढ़ा दी है और एंटी-ड्रोन सिस्टम को और सक्रिय कर दिया है। 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) से पहले बीएसएफ ने जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, और श्रीगंगानगर में पेट्रोलिंग तेज कर दी है।
हाल के महीनों में भारत-पाक सीमा पर ड्रोन गतिविधियां बढ़ी हैं। मई 2025 में जैसलमेर और बाड़मेर में पाकिस्तानी ड्रोन हमलों को भारतीय वायुसेना और सेना ने नाकाम किया था, जिसमें कई ड्रोन नष्ट किए गए। इसके अलावा, त्रिपुरा में भारत-बांग्लादेश सीमा पर भी ‘मेड इन चाइना’ ड्रोन बरामद हुए हैं, जो जासूसी के संदेह में फोरेंसिक जांच के लिए भेजे गए। इन घटनाओं से संकेत मिलता है कि सीमा पार से ड्रोन के जरिए जासूसी और तस्करी के प्रयास बढ़ रहे हैं।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रोन तकनीक का दुरुपयोग सीमा सुरक्षा के लिए नई चुनौती बन रहा है। लोंगेवाला जैसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि पाकिस्तान अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई के जरिए ड्रोन का इस्तेमाल भारतीय सुरक्षा बलों की स्थिति और गतिविधियों की टोह लेने के लिए कर सकता है। भारत ने एंटी-ड्रोन सिस्टम जैसे ड्रोन-नेट और लेजर-आधारित तकनीकों को तैनात किया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इनका और विस्तार करना होगा।
बीएसएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियां ड्रोन के उड़ान डेटा और कैमरे में रिकॉर्ड संभावित फुटेज की जांच कर रही हैं। स्थानीय प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध वस्तु या गतिविधि की तुरंत सूचना दें। स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर सीमा पर चौकसी और बढ़ा दी गई है।
यह घटना भारत-पाक सीमा पर बढ़ती तनातनी और ड्रोन-आधारित खतरों की गंभीरता को रेखांकित करती है। बीएसएफ की त्वरित कार्रवाई ने संभावित खतरे को टाल दिया, लेकिन यह सुरक्षा तंत्र को और मजबूत करने की जरूरत को दर्शाता है।