सांस लेने की परेशानी का जड़ से सफाया करता हैं यह आयुर्वेदिक नुस्खा, चौथा है सबसे असरदार

आज के जमाने में ऐसा कोई ही व्यक्ति होगा जिसे कोई बीमारी अपना शिकार ना बना रही हो। साल दर साल बीमारियां बढ़ती ही जा रही हैं। अस्थमा उन्हीं बीमारियों में से एक है। अस्थमा फेफड़ों की एक भयानक बीमारी है। जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अस्थमा का शिकार लोगों की श्वास नलियों में सूजन आ जाती है।

अस्थमा

अस्थमा के रोगियों का श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। श्वसन नली में सिकुड़न के चलते रोगी को सांस लेने में परेशानी, सांस लेते समय आवाज आना, सीने में जकड़न, खांसी आदि समस्यालएं होने लगती हैं। अस्थमा के दो प्रकार होते हैं- बाहरी और आंतरिक अस्थमा। बाहरी अस्थमा बाहरी एलर्जन के प्रति एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है, जो कि पराग, जानवरों, धूल जैसे बाहरी एलर्जिक चीजों के कारण होता है। आंतरिक अस्थमा कुछ रासायनिक तत्वों को श्विसन द्वारा शरीर में प्रवेश होने से होता है जैसे कि सिगरेट का धुआं, पेंट वेपर्स आदि।

कारण

एलर्जिक अस्थमा: इस अस्थमा में रोगी को किसी भी चीज से एलर्जी हो सकती है। धूल-मिट्टी में जाने से आपको दमा होने का खतरा बढ़ जाता है। बदलते मौसम में भी अस्थमा के होने की शिकायत बढ़ने लगती है।

नॉनएलर्जिक अस्थमा: इस तरह के अस्थमा का कारण किसी एक चीज की अति होने पर होता है। जब आप बहुत अधिक तनाव में हो या बहुत तेज-तेज हंस रहे हो, आपको बहुत अधिक सर्दी लग गई हो या बहुत अधिक खांसी-जुकाम हो।

मिक्सड अस्थमा:  इस प्रकार का अस्थमा किसी भी कारण से हो सकता है। यह ना तो एलर्जिक कारणों से होता न ही नॉनएलर्जिक कारणों से । इस अस्थमा के बारे में पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है।

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एक्सरसाइज इनड्यूस अस्थमा: कई लोगों को एक्सरसाइज या फिर अधिक शारीरिक सक्रियता के कारण अस्थमा हो जाता है तो कई लोग जब अपनी क्षमता से अधिक काम करने लगते हैं तो वे अस्थमा के शिकार हो जाते हैं।

कफ वेरिएंट अस्थमा: अगर आपको कफ, खांसी जुकाम की शिकायत है तो आपको भी अस्थमा की शिकायत हो सकती है। आपको भी अस्थमा की शिकायत हो सकती है।

ऑक्यूपेशनल अस्थमा: अगर आप ज्यादा दिनों तक एक ही काम करते हैं तो आपको भी अस्थमा की शिकायत हो सकती है। अगर आप रोज एक ही काम करते हैं तो आपको भी अस्थमा की शिकायत हो सकती है।

नॉक्टेर्नल यानी नाइटटाइम अस्थमा: यह अस्थमा रात के समय में ही परेशान करता है। इसके अटैक रात में ही पड़ते हैं।

मिमिक अस्थमा: जब आपको कोई स्वा:स्य्थम  संबंधी कोई बीमारी जैसे निमोनिया, कार्डियक जैसी बीमारियां होती हैं तो आपको मिमिक अस्थमा हो सकता है। आमतौर पर मिमिक अस्थमा तबियत अधिक खराब होने पर होता है।

एडल्ट ऑनसेट अस्थमा: ये अस्थमा युवाओं को होता है। यानी अकसर 20 वर्ष की उम्र के बाद ही ये अस्थमा होता है। इस प्रकार के अस्थमा के पीछे कई एलर्जिक कारण छुपे होते हैं। हालांकि इसका मुख्य कारण प्रदूषण, प्लास्टिक, अधिक धूल मिट्टी और जानवरों के साथ रहने पर होता है।

चाइल्ड ऑनसेट अस्थमा: इस प्रकार का अस्थमा बच्चों को ही होता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता वैसे- वैसे यह बीमारी खुद ही ठीक होने लगती है। यह रिस्की नहीं होता लेकिन इसका सही इलाज जरूरी है।

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घरेलू नुस्खें

लहसुन में पोषक तत्व पाए जाते हैं जो दमा की बीमारी के ले काफी कारगर है। अहर आप रोज लहसुन की 5 कलियों का रोज दूध के साथ सेवन करते हैं तो यह आपके लिए बहुत फायदेमंद होता है।

अदरक की चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा पर नियंत्रण किया जा सकता है।

180 मिमी पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब 5 मिनट तक उबालें। मिश्रण को ठंडा होने दें, उसमें चुटकीभर नमक, कालीमिर्च और नीबू रस भी मिलाया जा सकता है। इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल दमा उपचार में कारगर माना गया है।

अस्थमा को रोग में अजवाइन का सेवन भी काफी फायदेमंद होता है। 4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबाल लें। इस काढ़े का रोज सेवन करने से भी दमा की बीमारी में काफी असर देकने को मिलेगा।

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