आधार से नहीं लिंक था राशन कार्ड इसलिए भात-भात कहते मर गई बच्ची
नई दिल्ली| हमारा देश इन दिनों बदलाव के दौर से गुजर रहा है. केंद्र सरकार हर दिन नई-नई सेवाएं शुरू कर रही है. कई जरूरी सेवाओं के लिए आधार कार्ड को जरूरी कर दिया गया है. लेकिन यही आधार किसी मासूम की मौत का कारण बन जाएगा ये बात शायद दिल्ली में बैठे हुक्मरानों ने कभी नहीं सोची होगी.
आधार कार्ड बना खलनायक
भाजपा शासित राज्य झारखंड के सिमडेगा जिले में एक 11 साल की बच्ची सिर्फ इस लिए मर गई क्योंकि बच्ची के परिवार का राशन कार्ड आधार से लिंक नहीं हो पाया था. अब ये बात सरकार को कौन समझाए कि भूख आपके डिजिटल इंडिया को नहीं समझती. भूख को सिर्फ अनाज का दाना चाहिए होता है न कि वो न्यू इंडिया जिसे पीएम नरेंद्र मोदी बनाने निकले हैं.
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बच्ची की मां की मानें तो उनके परिवार का राशन कार्ड आधार से लिंक नहीं हो पाया था. जिस कारण पीडीएस स्कीम के तहत गरीबों को मिलने वाला अनाज नहीं मिला. इसकी वजह से उनका परिवार करीब एक हफ्ते से भूखा था. घर के बड़े बुजुर्गों ने तो जैसे-तैसे दिन काट लिए लेकिन भूख के बढ़ते दायरे को बच्ची (संतोषी) नहीं झेल सकी और 28 सितम्बर के दिन उसने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया.
उन्होंने बताया कि जब वो राशन की दुकान पर गईं तो उन्हें राशन देने से मना कर दिया गया. वो वापस लौट आईं. लेकिन उनकी बेटी भूख के कारण भात-भात (चावल) कहते मर गई.
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इस घटना की जानकारी जब खाद्य सुरक्षा के लिए काम करने वाली एक संस्था को दी गई तो यह जानकारी निकल कर सामने आई कि बच्ची के घर में एक हफ्ते से अनाज का एक दाना तक नहीं था.
हालांकि, इस बात को प्रशासन मानने को तैयार नहीं. मामला सामने आने के बाद जलगेड़ा गांव के प्रखंड विकास अधिकारी संजय कुमार का कहना है कि बच्ची की मौत भूख से नहीं मलेरिया से हुई है. उन्होंने इस बात को जरूर माना है कि पीड़ित परिवार का राशन कार्ड आधार से लिंक नहीं था, जिसके चलते उन्हें फरवरी से राशन नहीं मिल रहा था.