भारत की आर्थिक विकास दर को लगेंगें पंख, फिक्की ने किया दावा

नई दिल्ली। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने गुरुवार को कहा कि अल्पकालीन चुनौतियों के बावजूद भारत की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष में 7.5 फीसदी रहने की उम्मीद है।

फिक्की

उद्योग संगठन के अनुसार, मई में औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती और जून में उच्च महंगाई दर अल्पकालीन चुनौतियां हैं जिनको लेकर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी सक्रियता दिखाई हैं और इनसे आर्थिक सुधार के संकेतों में कोई कमी नहीं आएगी।

फिक्की के अध्यक्ष राशेश शाह ने कहा, “अगले कुछ महीनों में औद्योगिक विकास दर दोबारा पटरी पर आ सकती है। महंगाई वृद्धि पर आरबीआई की नजर बनी हुई है। शीर्ष बैंक और सरकार निश्चित रूप से इसपर नियंत्रण के मद्देनजर जरूरी उपाय करेंगे।”

उन्होंने कहा, “वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की इसमें प्रेरक भूमिका होगी। जीएसटी संग्रह की प्रवृत्ति से स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि अर्थव्यवस्था में सकारात्मक रुझान पैदा हो रहा है। राष्ट्रीय एकीकृत अप्रत्यक्ष व्यवस्था से भी आगे महंगाई कम होगी।”

उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद और केंद्र सरकार ने जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाने की मंशा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के साथ-साथ आईबीसी (ऋणशोधन अक्षमता और दिवाला संहिता) और रेरा (रियल स्टेट विनियामक प्राधिकरण) जैसे सुधार के उपायों के परिणाम पहले से ही देखने को मिल रहे हैं और इनसे आठ फीसदी से ऊपर की आर्थिक विकास (जीडीपी) दर हासिल करने में मदद मिलेगी।

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