#वेलकम2018: सिर्फ 1 जनवरी नहीं देश में 4 बार और मनाते हैं न्यू ईयर
मुंबई। भारत में जितने धर्म, जाति, लोक और परंपरा के नई रंग देखने को मिलते हैं। यह एक ऐसा देश है जो हर छोटे से छोटे लम्हों में खुशी ढूंढ लेता है। देश में अलग अलग धर्मों के लोग रहते हैं। इन लोगों की वजह देश को जश्न के कई मौके मिलते रहते हैं। जहां आज पूरी दुनिया नए साल का जश्न में डूबी हुई हे वहीं भारत साल में पांच बार न्यू ईयर सेलिब्रेट करता है।
1 जनवरी-
1 जनवरी से नए साल की शुरुआत 15 अक्टूबर 1582 से हुई। इसके कैलेंडर का नाम ग्रिगोरियन कैलेंडर है। जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर बनाया। तब से 1 जनवरी को नववर्ष मनाते हैं।
नवरोज-
पारसी धर्म के मुताबिक नवरोज उत्सव से उनके साल की नई शुरुआत होती है। 3000 वर्ष पूर्व शाह जमशेदजी ने नवरोज मनाने की शुरुआत की थी। आमतौर पर 19 अगस्त को नवरोज का उत्सव सेलिब्रेट किया जाता है।
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बैसाखी के दिन-
पंजाब में नया साल बैसाखी के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर बैसाखी अप्रैल के महीने में आती है। सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार होली के दूसरे दिन से नए साल की शुरुआत मानी जाती है।
हिंदू नववर्ष-
हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से होती है। इसे हिंदू नव संवत्सर या नया संवत भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल की शुरुआत होती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अप्रैल में आती है। इसे गुड़ी पड़वा, उगादी आदि नामों से भारत के कई क्षेत्रों में मनाया जाता है।
दीपावली के अगले दिन-
जैन धर्म के मुताबिक दीपावली के अगले दिन से नववर्ष की शुरूआत होती है। इसे वीर निर्वाण संवत भी कहा जाता है। इसी दिन से जैन धर्म के लोग अपना नया साल मनाते हैं।