चीन टाल सकता है भारत में होने वाली अकाल मौतें

चीननई दिल्ली। धुंए के कारण दिल्ली फिर से खतरनाक प्रदूषण की चपेट में आ चुकी है। सोमवार को दिल्ली में वायु प्रदूषण का औसत स्तर 356, जबकि एनसीआर में 345 रहा। एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण में भारत, चीन को भी पीछे छोड़ चुका है। चीन प्रदूषण की समस्या में जरा भी लापरवाही नहीं बरतता। अगर भारत चीन से ये तकनीक सीख ले तो यहां होने वाली मौतों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

दुनियाभर में वायु प्रदूषण का हाल बयां करती इस रिपोर्ट में चीन और भारत को सबसे ज्यादा खतरे में बताया गया है। हालांकि इसी रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं।

चीन ने प्रदूषण से लड़ाई को सबसे ज़रूरी माना है। उसने अपनी सभी विकास योजनाओं में पर्यावरण संरक्षण को अहमियत दी है। इसके आलावा सबसे बुरी हालत में पहुंचे ज़मीनी और समुद्री इलाकों को ‘रेड ज़ोन’ का दर्जा देकर उन्हें सुधारने के लिए नई-नई योजनाओं पर काम किया है।

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SMOG से निजात पाने के लिए हानिकारक गैस नियंत्रण और धूल की रोकथाम के लिए ऐसे गैजेट्स बनाए हैं जिन्हें हर कोई इस्तेमाल कर सकता है। परमाणु ऊर्जा के अनुपात, प्राकृतिक गैस और रीन्युएबल ऊर्जा में वृद्धि कर छोटी लकीर के सामने बड़ी लकीर खींचने का फॉर्मूला अपनाया है। चीन ने थर्मल पावर के निर्माण के जरिए कोयले के साफ उपयोग को बढ़ावा देकर पुराने कोयले से होने वाले प्रदूषण को रोका है।

क्या है मिस्ट कैनन?

मिस्ट कैनन धूल नियंत्रण मशीन है। इसके प्रयोग से लिक्विड को छोटे-छोटे कणों में तब्दील करके हवा में स्प्रे किया जाता है, जिससे हवा में मौजूद खतरनाक धूल कण बारिश की तरह जमीन पर गिर जाते हैं। इससे लोगों में रेस्पिरेटरी और लंग प्रॉब्लम्स की संभावना कम हो जाती है।

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चीन में हर महीने 2,000 से अधिक निर्माण स्थलों और 62 साइटों की प्रदूषण जांच होती है और बीजिंग में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की एंट्री पर रोक भी लगा दी गई है।

बीजिंग में  पर्यावरण मॉनिटरिंग सेंटर की स्थापना से लगातार प्रदूषण की मात्रा पर ध्यान दिया जा रहा है। 1,350 बसों को सार्वजनिक परिवहन में लगाया गया है जो स्वच्छ ऊर्जा पर काम करती हैं। इसके आलावा  प्रदूषण से जुड़े कानून और सख्त कर दिए गए हैं।

2016-2017 में 8,687 कंपनियों को प्रदूषण से जुड़े नियमों के उल्लंघन के लिए दंड दिया गया और 405 लोगों की गिरफ़्तारी भी हुई। 4,600 से अधिक सरकारी अधिकारी भी खराब पर्यावरणीय प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहराए गए और उन्हें सजा हुई।

बता दें कि, प्रदूषण हर दिन भारत की राजधानी में औसतन 80 लोगों की जान ले रहा है। ‘लैंसेट कमीशन ऑन पॉल्यूशन एंड हेल्थ’ के अनुसार, प्रदूषण के मामले में भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण के कारण दिल्ली में सालाना 30,000 जानें जा रही हैं।

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