डोकलाम विवाद के बाद ग्रीन सिग्नल जारी, भारत-चीन सीमा को लेकर जल्द निकलेगा नया हल

भारत और चीननई दिल्ली। भारत और चीन के बीच करीब ढाई महीने तक सैन्य गतिरोध चलने के बाद शुक्रवार को पहली बार इन दोनों देशों के बीच पेइचिंग में सीमा को लेकर बातचीत हुई। भारतीय दूतावास ने अपने एक बयान में कहा कि सीमा वार्ता ‘रचनात्मक और आगे बढ़ने वाली’ रही। दोनों देशों के बीच यह बातचीत ‘वर्किंग मकैनिजम फॉर कंसल्टेशन ऐंड कोऑर्डिनेशन ऑन इंडिया-चाइना बॉर्डर अफेयर्स’ (WMCC) के तहत हुई।

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इस सीमा वार्ता के बाद दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बातचीत होगी जो अगले महीने होने की उम्मीद है। विशेष प्रतिनिधियों की बातचीत का मकसद सीमा विवाद को खत्म करने की संभावना ढूंढ़ना होता है जबकि WMCC के तहत बातचीत का फोकस सीमाई इलाकों में शांति बनाए रखने पर होता है।

भारत यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि चीन के सैनिक भूटान के नजदीक भारत-चीन-भूटान के अहम त्रिकोण के पास सड़क निर्माण का काम दोबारा न शुरू करे। सड़क निर्माण को लेकर ही दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध बना था और भारतीय सैनिकों की आपत्ति के बाद चीनी सैनिकों ने सड़क निर्माण का काम रोक दिया था।

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भारतीय दूतावास की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि दोनों ही देशों के अधिकारियों ने भारत-चीन सीमा के सभी सेक्टरों में हालात की समीक्षा की और दोनों ही पक्ष सीमाई इलाकों में शांति बनाए रखने पर सहमत हुए, जो द्विपक्षीय संबंधों में स्थायी विकास की एक अहम पूर्वशर्त है। बातचीत में भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के जॉइंट सेक्रटरी (ईस्ट एशिया) प्रणय वर्मा और दूसरे अधिकारियों ने हिस्सा लिया, जबकि चीन की तरफ से एशियन अफेयर्स डिपार्टमेंट के डायरेक्टर जनरल जियाओ किआन और दूसरे अधिकारियों ने शिरकत की।

दोनों देशों के अधिकारियों ने आपसी विश्वास पैदा करनेवाले आगे के उपायों और सैन्य संपर्क मजबूत करने को लेकर अपनी-अपनी राय साझा किया। 2012 में स्थापित हुई WMCC की यह 10वें दौर की वार्ता थी। यह बातचीत ऐसे वक्त हुई जब चीन के विदेश मंत्री वांग यी अगले महीने नई दिल्ली में होने वाले रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए भारत आने वाले हैं।

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