इस तरह से करेंगे शिशु की देखभाल तो आगे तक आएगा काम

बच्चे की किलकारी की आवाज सभी को अच्छी लगती है। मां के लिए यह आवाज बहुत मधुर होती है। मां और शिशु के रिश्ते बीच का रिश्ता बहुत ही अनमोल और दुनिया का सबसे अच्छा रिश्ता होता है। जितनी देखभाल मां अपने शिशु का कर सकती है शायद ही उतनी कोई और कर सकती है। आज जानते हैं कि नवजात की देखभाल कैसे करें।

शिशु

स्तनपान कराएं

नवजात शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है। मां का दूध ही बच्चे का पहला आहार होता है। यह बच्चे को कई बीमारियों से बचने की शक्ति देता है। हर मां को चाहिए कि वह अपने नवजात को स्तनपान करवाये। मां को बच्चे को तब तक दूध पिलाना चाहिए, जब तक वह पूरी तरह से संतुष्ट न हो जाए। छह महीने की आयु तक तो बच्चे को सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए।

बुरा नहीं है शिशु का रोना

जब भी बच्चा रोता है तो मां को लगता है कि उसे कोई तकलीफ है। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं हो सकता है कि बच्चा केवल किसी तकलीफ में ही रोएं। कई बार बच्चे का रोना अच्छा भी माना जाता है। वैसे आमतौर पर बच्चा तभी रोता जब उसे पेट में तकलीफ होती है।

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मालिश करें

बच्चे  की मालिश सावधानीपूर्ण करनी चाहिए। मालिश से बच्चों का शारीरिक विकास होता है और उसकी हड्डियां मजबूत बनती हैं। बच्चे की मालिश करते समय जोर न लगायें। बच्चे की मालिश हमेशा हल्के हाथ से की जानी चाहिए। जोर लगाकर मालिश करने से बच्चे को नुकसान हो सकता है। मालिश के लिए जैतून का तेल, बादाम का तेल या बेबी ऑयल का इस्तेरमाल करना अच्छा रहेगा।

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टीकाकरण जरूरी

अगर बच्चा अस्पताल में होता है तो उसे टीकाकरण की सभी सुविधा मिलती है। टीकाकारण सभी को अपने बच्चों का एक उम्र में करवा लेना चाहिए। अगर प्रसव अस्प ताल में नहीं हुआ है, तो भी आपको निकट के स्वासस्य्रे  केंद्र में जाकर रजिस्ट्रे शन करवाना चाहिए। अस्पताल में कब-कब कौन सा टीका करवाना है यह सब बता दिया जाता है। अगर आपका प्रसव अस्पताल में नहीं होता है तो आपको अपने पास के अस्पताल में जाए और टीकाकारण की बात करें।

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उठाते समय रखें ध्यान

बच्चे  को उठाते समय उसके सिर के नीचे जरूर हाथ रखें। बच्चे की गर्दन कमजोर होती है ऐसे में अगर उसे उठाते समय जरा सी भी असावधानी बरती जाए, तो बच्चे को नुकसान हो सकता है।

 

 

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