एनआरसी मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा पर लगाया ‘कातिलाना आरोप’

नई दिल्ली। असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने सोमवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आगामी चुनावों के लिए नागरिकता मुद्दे को ‘राजनीतिक हथियार’ के तौर पर इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है।

तरुण गोगोई

गागोई ने यह बयान ऐसे समय दिया है, जब एक सप्ताह पहले नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) के मसौदे में असम के 3.29 करोड़ आवेदकों में से 40 लाख लोगों को शामिल नहीं किया गया।

कांग्रेस नेता गोगोई ने मीडिया से कहा, “भाजपा 40 लाख आवेदकों को हटाकर ब्रह्मपुत्र और बराक घाटी में खूनखराबा करवाने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही भाजपा आगामी चुनावों में इसका इस्तेमाल चुनावी हथियार के तौर पर करना चाहती है।”

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र द्वारा जारी एनआरसी मसौदे में ‘अवैध आव्रजकों को शामिल किया गया है और असम के वास्तविक नागरिकों को बाहर कर दिया गया है’।

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गोगोई ने कहा, “हम (कांग्रेस) चाहते हैं कि 24 मार्च 1971 की आधी रात के बाद जो लोग भी असम आए, उन्हें विदेशी की तरह चिह्न्ति किया जाए और यहां से भेजा जाए। जबकि, भाजपा नागरिकता अधिनियम1955 में संशोधन करना चाहती है और बांग्लादेश, पाकिस्तान व अफगानिस्तान के मुस्लिमों को छोड़कर सभी सताए गए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिक अधिकार प्रदान करना चाहती है।”

भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं के बयान में विरोधाभास के बारे में गोगोई ने कहा, “अमित शाह एनआरसी को लागू करवाना चाहते हैं जबकि केंद्रीय गृह मंत्री बोलते हैं कि कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा।”

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उन्होंने दावा किया कि एनआरसी मसौदे में कई अनियमितताएं हैं। इस सूची में कई पूर्व विधायकों, पुलिस व सेना के अधिकारियों के नाम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यहां तक कि असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के मुख्य सुरक्षा अधिकारी का नाम भी सूची में शामिल नहीं हैं।

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