धोखाधड़ी मामले में आंध्रा बैंक के पूर्व अधिकारी को बड़ी राहत, दिल्ली हाईकोर्ट ने दी जमानत

नई दिल्ली दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को गुजरात की फार्मास्युटिकल कंपनी, स्टर्लिग बायोटेक से जुड़े 5,000 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार आंध्रा बैंक के पूर्व निदेशक को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने अनुप प्रकाश गर्ग को जमानत दे दी और उनसे दो लाख रुपये का निजी मुचलका भरने और इतनी ही राशि की दो जमानत पेश करने को कहा।

धोखाधड़ी मामले

अदालत ने गर्ग को बिना इजाजत देश से बाहर नहीं जाने का निर्देश दिया। अदालत ने उन्हें यह भी निर्देश दिया कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे और न ही जांच में हस्तक्षेप करेंगे।

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गर्ग ने जमानत की मांग की थी और कहा था कि उन्हें धनशोधन रोकधाम अधिनियम(पीएमएलए) के अंतर्गत मामला दर्ज करने के बाद प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 12 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह हिरासत में हैं।

ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) दोनों ने गर्ग को आपराधिक मामलों में आरोपी करार दिया था। ईडी ने सीबीआई के एफआईआर के आधार पर धनशोधन जांच शुरू की थी।

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सीबीआई ने कथित बैंक धोखाधड़ी मामले में स्टर्लिग बायोटेक, इसके निदेशकों चेतन जयंतीलाल संदेसरा, दीप्ति चेतन संदेसरा, राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित, नितिन जयंतीलाल संदेसारा और विलास जोशी, चार्टर अकांटेंट हेमंत गर्ग और कुछ अन्य लोगों के नाम शामिल थे।

सीबीआई एफआईआर के अनुसार, स्टर्लिग बायोटेक ने आंध्रा बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के संघ से 5,000 करोड़ रुपये का ऋण लिया था, जो बाद में गैर निष्पादित संपत्ति(एनपीए) बन गया। 31 दिसंबर, 2016 को कंपनी पर कुल बकाया 5,383 करोड़ रुपये था।

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