
कानपुर। कानपुर के बांगरमऊ कस्बे में अचानक सामने आए एचआईवी मामलों से आस-पास के तीन गांव के लोगों के सामने कई मुश्किलें खड़ी हो चुकी हैं। अचानक 40 से ज़्यादा लोगों में HIV की पुष्टि होने से कस्बे के नौजवानों की शादियां टूट रही हैं। इतना ही नहीं, सैलून वालों ने इलाके के लोगों के दाढ़ी, बाल बनाने से इनकार कर दिया है। इस तरह के दुर्व्यवहार से बांगरमऊ कस्बे के लोगों में काफी घबराहट है।
एचआईवी संक्रमण की बात पड़ोसी गांवों तक पहुंची तो सबसे ज्यादा मरीजों वाले एक गांव के तीन लड़कों विकास, सुरेंद्र और विजय (बदले हुए नाम) की शादी टूट गई। लड़कीवालों का कहना है कि बीमारी का कुछ पता नहीं और वे ऐसे परिवार से संबंध नहीं जोड़ना चाहते हैं जहां जिंदगी का कुछ पता ही न हो।
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सीएमओ के दावे के उलट कानपुर के एआरटी सेंटर पर नवंबर 2017 से जनवरी 2018 के बीच 70 मरीजों का रजिस्ट्रेशन किया गया। इसमें 6 बच्चे भी हैं। ये सारे लोग उन तीन गांवों के हैं, जहां झोलाछाप डॉक्टर का सबसे ज्यादा असर था।
बता दें कि नवंबर-2017 में बांगरमऊ तहसील के कुछ गांवों में एक एनजीओ ने हेल्थ कैंप लगाया था। इसमें जांच के दौरान कुछ लोगों के अंदर एचआईवी के लक्षण दिखाई दिए। इन्हें जब जांच के लिए अस्पताल भेजा गया तो वहां कई लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई।
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काउंसलिंग के दौरान पता चला कि क्षेत्र में लोगों का इलाज करने वाला एक झोलाछाप एक इंजेक्शन का बार-बार इस्तेमाल करता था। ऐसा माना जा रहा है कि झोलाछाप ने वह इंजेक्शन किसी एचआईवी पीड़ित को लगाया होगा। इससे उसकी सुई संक्रमित हो गई होगी। फिर वही इंजेक्शन दूसरे मरीजों को लगाने से वे भी संक्रमित हो गए।
जब ये रिपोर्ट जिले के बड़े अधिकारियों तक पहुंची तो उन्होंने बांगरमऊ में जनवरी में अलग-अलग तीन स्वास्थ्य शिविर लगवाए। यहां 500 से ज्यादा लोगों की जांच में फिर 40 लोगों में एचआईवी के लक्षण मिले।