
गुजरात हाई कोर्ट(Gujrat HighCourt) ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत अंतरधार्मिक विवाह से संबंधित कुछ धाराओं के संचालन पर रोक लगा दी है। गुजरात(Gujrat) धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021 में राज्य में दूसरे धर्म में विवाह के लिए धर्मांतरण पर प्रतिबंध है। लेकिन कोर्ट ने कुछ धाराओं पर रोक लगा दी है।

मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने कहा कि ‘हमारी यह राय है कि आगे की सुनवाई लंबित रहने तक धारा तीन, चार, चार ए से लेकर धारा चार सी, पांच, छह एवं छह ए को तब लागू नहीं किया जाएगा, यदि एक धर्म का व्यक्ति किसी दूसरे धर्म व्यक्ति के साथ बल प्रयोग किए बिना, कोई प्रलोभन दिए बिना या कपटपूर्ण साधनों का इस्तेमाल किए बिना विवाह करता है और ऐसे विवाहों को गैरकानूनी धर्मांतरण के उद्देश्य से किए गए विवाह करार नहीं दिया जा सकता। अंतरधार्मिक विवाह करने वाले पक्षों को अनावश्यक परेशानी से बचाने के लिए यह अंतरिम आदेश जारी किया गया है।’
गौरतलब है कि गुजरात(Gujrat) धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021 के प्रदेश में 15 जून को अधिसूचित किया गया था। लड़की को लालच देकर फंसाने का मामला साबित ना हो तब तक एफआईआर दर्ज नहीं हो। अलग-अलग धर्म की शादी होने पर शिकायत नहीं हो सकती। लव जिहाद कानून के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट में पिटीशन दाखिल हुई थी। जमियत उलेमा ए हिन्द द्वारा हाई कोर्ट में लव जिहाद कानून के खिलाफ पिटीशन दाखिल की गई थी।
गुरुवार को, मुख्य न्यायाधीश नाथ ने कहा कि हमारी राय है कि आगे की सुनवाई तक, धारा 3,4, 4ए से 4सी, 5, 6, और 6ए की धारा केवल इसलिए संचालित नहीं होगी क्योंकि विवाह एक व्यक्ति द्वारा किया जाता है। अदालत ने कहा कि विवाह अगर एक धर्म के व्यक्ति द्वारा दूसरे धर्म की लड़की के साथ बिना किसी बल और प्रलोभन से किया जाता है तो इस तरह के विवाह को गैरकानूनी धर्मांतरण के उद्देश्य से विवाह नहीं कहा जा सकता है। राज्य सरकार के कानून के मुताबिक धोखाधड़ी से या जबरन धर्म बदलवाने पर दंड का प्रावधान है।