मोदी सरकार ने NAA को दी मंजूरी, GST की आंड में मुनाफाखोरी करने वालों पर होगी नज़र

जीएसटीनई दिल्ली। जीएसटी की आंड में मुनाफाखोरी करने वालों की अब खैर नहीं है। सरकार को भी ऐसी तमाम शिकायतें मिली हैं कि जीएसटी में कमी का फायदा कंपनियां और दुकानदार ग्राहकों तक नहीं पहुंचा रहे हैं और टैक्स कम होने के बाद भी कई चीजें सस्ती नहीं हो रही हैं। इन शिकायतों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने एंटी प्रोफिटियरिंग ऑथोरिटी को मंजूरी दे दी है।

आपको बता दें कि गुरुवार को कैबिनेट में जीएसटी के लिए एंटी प्रोफिटियरिंग ऑथोरिटी (एनएए) के गठन को मंजूरी दे दी गई है। इसमें तत्काल एक चैयरमैन और टेक्निकल मेंबर्स की बहाली की जाएगी। एनएए का काम ही होगा इस बात की निगरानी करना कि जो लोग जीएसटी में टैक्स कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने के बजाय खुद हड़प रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। 15 नवंबर से ही तमाम चीजों पर जीएसटी की घटी हुई दरें लागू हुई हैं जिनमें रेस्टोरेंट में खाने पर जीएसटी 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करना शामिल है।

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कैबिनट के फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि हाल में ही सरकार ने जीएसटी के रेट में जबरदस्त कमी करते हुए 59 चीजों को छोड़कर आम आदमी के काम आने वाली ज्यादातर चीजों को 28 फीसदी जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया है। बहुत सारी चीजों को अब सबसे कम 5 प्रतिशत टैक्स की श्रेणी में लाया गया है। इसके बाद एंटी प्रोफिटियरिंग ऑथोरिटी  (एनएए) का गठन करके सरकार ने यह साफ कर दिया है कि सरकार हर हाल में कम टैक्स का फायदा आम लोगों तक पहुंचाने के लिए वचनबद्ध है।

कैसे होगी शिकायत

अगर किसी ग्राहक को लगता है कि जीएसटी का फायदा उसे नहीं मिल रहा है तो वो अपने राज्य में स्क्रीनिंग कमेटी में इसकी शिकायत कर सकता है। लेकिन मुनाफाखोरी का मामला ऐसा हो जिससे बहुत सारे लोग प्रभावित होते हों या फिर उसका असर पूरे देश पर पड़ सकता है तो सीधे स्टैंडिंग कमेटी को भी शिकायत की जा सकती है। शिकायतों पर जांच का काम सीबीईसी के तहत आने वाले डायरेक्टर जनरल ऑफ सेफगार्ड्स करके एनएए को सौंपेंगे जिसके आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

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ऐसा होगा एनएए का प्रारूप

अगर लोगों को लगेगा कि जीएसटी में हुए टैक्स का फायदा उनको नहीं मिल रहा है तो वे एंटी प्रोफिटियरिंग ऑथोरिटी (एनएए) में शिकायत कर सकेंगे। एनएए का प्रमुख एक सचिव स्तर का अधिकारी होगा और इसमें चार टेक्निकल मेंबर्स होगें जो केन्द्र से या राज्यों से हो सकते हैं। केन्द्र में एंटी प्रोफिटियरिंग ऑथोरिटी (एनएए) के अलावा इसके लिए एक स्टैंडिग कमेटी और सभी राज्यों में स्क्रीनिंग कमेटी होगी।

रद्द हो सकता है जीएसटी रजिस्ट्रेशन

एनएए शिकायत को सही पाए जाने पर या तो चीजों की कीमत कम करने का आदेश दे सकता है और अगर मामला बेहद गंभीर हुआ तो जुर्माना भी लगा सकता है। बेहद संगीन मामलों में जीएसटी का रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया जा सकता है।

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