खुशियों से खिल उठेंगी बांछें, जब खुलेंगी मोदी सरकार की ये बड़ी सौगातें

नई दिल्ली। आगामी 4 मई आपके लिए खुशहाली की बहार लाने वाली साबित हो सकती है। दरअसल इस दिन जीएसटी काउंसिल की बैठक तय है। इस बैठक में केंद्र सरकार जनता को बड़ी सौगात देने का मन बना रही है।

बैठक में कैशलेस व्यवस्था, डीजल-पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाना जैसे अहम फैसलों के साथ व्यापारियों और टैक्सपेयर के हितों को भी ध्यान में रखते हुए अहम फैसले लिए जा सकते हैं।

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खुशहाली की बहार

खबरों के मुताबिक़ 4 मई (शुक्रवार) को जीएसटी काउंसिल की 27वीं बैठक है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में कई राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होंगे।

हालांकि यह बैठक वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए होगी। यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके तुरंत बाद कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं।

फिलहाल देश भर में पेट्रोल-डीजल के दामों में आग लगी हुई है। इससे आम जनता का मासिक बजट काफी गड़बड़ा गया है। लंबे समय से इन दोनों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग आम जनता कर रही है।

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पेट्रोल-डीजल के जीएसटी के दायरे में आने के बाद इसकी कीमत काफी घट जाएगी। हालांकि कई राज्य इनको जीएसटी में लाने का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि ऐसा करने से राज्यों को टैक्स के जरिए होने वाली कमाई पर काफी असर पड़ेगा।

वहीं डिजिटल लेनदेन कराने वाले दुकानदारों को भी बदले में कैशबैक जैसा आकर्षक लाभ मिल सकता है। इस व्यवस्था को लागू करने के एक प्रस्ताव पर सरकार विचार कर रही है।

इस प्रस्ताव में डिजिटल तरीके से पेमेंट करने वाले उपभोक्ताओं को अधिकतम खरीद मूल्य यानी एमआरपी पर छूट का लाभ मिलेगा।

ये छूट एक बार में अधिकतम 100 रुपये तक हो सकती है। दूसरी तरफ व्यापारी को भी उसके द्वारा डिजिटल तरीके से की गई बिक्री पर कैशबैक दिया जाएगा।

इसके साथ ही गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के दायरे में आने वाले करोड़ों कारोबारियों को केंद्र सरकार जल्द ही एक बड़ी सौगात देने जा रही है।

इन कारोबारियों को हर महीने 3 रिटर्न फाइल करने की बाध्यता से मुक्ति मिलने वाली है। इससे कारोबारी अपना बिजनेस आसानी से कर सकेंगे।

इतना ही नहीं बताया जा रहा है कि अब नए फॉर्म में टैक्स पेमेंट करने का चालान ऑटो जेनरेट होगा। यह इनपुट टैक्स क्रेडिट के अलावा होगा। इसके अलावा टैक्सपेयर के पास क्रेडिट राशि को एडिट करने का ऑप्शन भी होगा।

इसके विपरीत यदि सरकार के सख्त क़दमों की बात की जाए तो इस बैठक में इस दिशा में भी चर्चा की जाएगी।

टैक्स की चोरी पर बात की जाए तो उसे रोकने के लिए सिस्टम हर तिमाही पर एक ऐसी लिस्ट को जेनरेट करेगा, जिससे टैक्स जमा न करने वाले डिफॉल्टरों पर नजर रखी जा सकेगी।

टैक्स अधिकारी फिर ऐसे कारोबारियों पर नकेल भी कसेंगे। बड़े डिफॉल्टर से एडवांस में टैक्स जमा कराने के लिए कहा जाएगा।

बता दें यदि आप मीठा खाने के शौक़ीन हैं तो आपका यह शौक अब भारी पड़ने वाला है। बैठक में सरकार चीनी पर 5 फीसदी सेस लगाने के विचार में हैं।

दरअसल ऐसा करके सरकार कर्ज के बोझ तले दबे गन्ना किसानों को थोड़ी राहत देना चाहती। गन्ना किसानों का करीब 19,780 करोड़ रुपए का अभी बकाया है। इस रकम को निकालने के लिए केंद्र ने सेस लगाने की दिशा में विचार किया।

चीनी पर 5 फीसदी सेस लगाए जाने के बाद आपको मीठा खाने के लिए चीनी पर पहले से 15 रूपये प्रति किलो अधिक कीमत चुकानी होगी।

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