Govardhan Puja: आज के दिन पूजा करने से रहते हैं पूरा साल खुश, जानिए शुभ मुहूर्त

कल पूरे देश में दीपावली का त्योहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया गया। इस त्योहार की चमक लगातार 5 दिनों तक बनी ही रहती है। उसी कड़ी में आज गोवर्द्धन पूजा का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्द्धन पर्वत को उठा लिया था। इसलिए इस दिन गोवर्द्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। इतना ही नहीं इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा में तरह-तरह के पकवान भी बनते हैं। कुछ लोग इस दिन को अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस बार यह त्योहार आज यानी कि 8 नवंबर को मनाया जा रहा है। यह त्योहार हमेशा दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है।

गोवर्द्धन पूजा

गोवर्द्धन पूजा का महत्व

आज के दिन गोवर्द्धन पर्वत और गाय को पूजा करने का विधान है। साथ ही कुछ लोग इस पर्व को अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के लिए तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। इस दिन माना जाता है सभी तरह की सब्जियों को एक साथ बनाकर अन्नकूट तैयार किया जाता है फिर इस अन्नकूट का भगवान कृष्ण को भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन जो लोग दुखी रहते हैं फिर वह पूरे सालभर दुखी ही रहते हैं। इसलिए इस दिन को भगवान का नाम लेकर अच्छे और सच्चे दिल से मनाना चाहिए। इसी दिन शाम को दैत्येराज बलि के पूजन का भी विधान है।

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शुभ मुहूर्त

प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 7 नवंबर 2018 को रात 09 बजकर 31 मिनट से।

प्रतिपदा तिथि समाप्तभ: 8 नवंबर 2018 को रात 09 बजकर 07 मिनट तक।

गोवर्द्धन पूजा का प्रात: काल मुहूर्त: 08 नवंबर 2018 को सुबह 06 बजकर 39 मिनट से 08 बजकर 52 मिनट तक।

गोवर्द्धन पूजा का सांयकालीन मुहूर्त: 08 नवंबर 2018 को दोपहर 03 बजकर 28 मिनट से शाम 05 बजकर 41 मिनट तक।

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पूजा की विधि

– गोवर्द्धन पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्नान कर स्वेच्छ वस्त्र  धारण करें।

– अब अपने ईष्ट देवता का ध्यान करें और फिर घर के मुख्य  दरवाजे के सामने गाय के गोबर से गोवर्द्धन पर्वत बनाएं।

– अब इस पर्वत को पौधों, पेड़ की शाखाओं और फूलों से सजाएं। गोवर्द्धन पर अपामार्ग की टहनियां जरूर लगाएं।

– अब पर्वत पर रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें।

– अब हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए कहें:

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।

विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव: ।।

– अगर आपके घर में गायें हैं तो उन्हें स्नान कराकर उनका श्रृंगार करें। फिर उन्हें रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें। आप चाहें तो अपने आसपास की गायों की भी पूजा कर सकते हैं। अगर गाय नहीं है तो फिर उनका चित्र बनाकर भी पूजा की जा सकती है।

– अब गायों को नैवेद्य अर्पित करें इस मंत्र का उच्चाकरण करें ।

लक्ष्मीर्या लोक पालानाम् धेनुरूपेण संस्थिता।

घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु।।

– इसके बाद गोवर्द्धन पर्वत और गायों को भोग लगाकर आरती उतारें।

– जिन गायों की आपने पूजा की है शाम के समय उनसे गोबर के गोवर्द्धन पर्वत का मर्दन कराएं। यानी कि अपने द्वारा बनाए गए पर्वत पर पूजित गायों को चलवाएं। फिर उस गोबर से घर-आंगन लीपें।

– पूजा के बाद पर्वत की सात परिक्रमाएं करें।

– इस दिन इंद्र, वरुण, अग्नि और भगवान विष्णुं की पूजा और हवन भी किया जाता है।

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