जीएमवीएन कर्मचारियों का वेतन अटका, सातवें वेतन को लेकर भी संकट

जीएमवीएनदेहरादून। जीएमवीएन कर्मचारियों के वेतन पर निगम सांप की तरह कुंडली मार कर बैठा है। तीन माह से जीएमवीएन कर्मचारियों का वेतन अटका रखा है। सचिवालय, सीएम आवास समेत तमाम दूसरे स्थानों पर तैनात कर्मचारियों के वेतन का दस करोड़, जिसे निगम को देना था।  निगम द्वारा इसे  नहीं दिया जा रहा है और न ही पूर्व में कराए गए कार्यो के 60 करोड़ का भुगतान हो रहा है।

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कर्मचारियों की शिकीयत है कि निगम ने पिछली जुलाई का वेतन अभी नही दिया है। तीन माह का वेतन, पेंशन के साथ सातवें वेतनमान का लाभ जो मिलना था, वह भी निगम ने अटका रखा है। प्रबंधन व कर्मचारी संगठनों का तर्क है कि एक ओर सरकार निगम को घाटा होने की बात मान कर सातवां वेतनमान देने से पीछे हट रही है।

वहीं दूसरी तरफ बकाए का भुगतान भी नहीं कर रही है जिससे इसमें हुए घाटे को बढ़ाया जा सके। सरकार द्वारा निगम को दस करोड़ रुपये मिलने हैं, साथ ही निर्माण कार्यो को लेकर केंद्र से मिलने वाले साठ करोड़ का भुगतान नहीं हुआ है। जबकि केंद्र से योजनाएं स्वीकृत होने के बाद निर्माण कार्य कराए जा चुके हैं। ठेकेदारों को भुगतान करने का दबाव निगम पर पड़ रहा है।

जीएमवीएन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष एससी पंत ने बताया कि इस घाटे की जिम्मेदार खुद निगम है, समय पर इसका भुगतान न करने के कारण ही घाटे में बढ़ते स्तर को रोक नहीं पा रहे हैं। आशीष उनियाल ने कहा कि निर्माण कार्य करने के बाद भी भुगतान न करना सरकार की अक्षमता को दर्शाता है। जीएमवीएन की सचिवालय, सीएम आवास की कैंटीन के रेट भी सालों से नहीं बढ़े हैं।

रेट रिवाइज किए जाने को लेकर फैसला हो चुका है, लेकिन विधिवत आदेश नहीं हो रहा है। निर्माण कार्यो के साथ ही सचिवालय में तैनात कर्मियों का सालों से पैसा नहीं दिया गया है। सरकार को बकाया भुगतान का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। रिमाइंडर भी भेजे गए हैं। बकाया भुगतान हो जाए, तो निगम पूरी तरह घाटे से मुक्त हो जाएगा। खराब स्थिति पूरी तरह सामान्य हो जाएगी।

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