होलिका दहन की राख से मनने वाला ये त्यौहार, स्त्रियों के लिए है वरदान

नई दिल्ली। होली के एक दिन बाद से शुरू होने वाली गणगौर का आखिरी दिन 20 मार्च को है। चैत्र शुक्ल की तृतीया को गणगौर का पर्व मानाया जाता है। इस दिन महिलाएं शिव-गौरी की पूजा कर दोपहर तक व्रत रखती है।

गणगौर

ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान ईसर यानी शिव ने गौरी को और गौरी ने पूरे स्त्री-समाज को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान दिया था। इस त्यौहार को ज्यादातर राजस्थान में मनाया जाता है। साथ ही गुजरात, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के कुछ भागों में भी इस पर्व को मनाया जाता है। गणगौर की पूजा कुंवारी महिलाओं से लेकर विवाहित स्त्रियों तक हर कोई कर सकता है। इस व्रत को करने से कुंवारी लड़कियां अच्छा वर पाती हैं और विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र।

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जानिए पूजा विधि

गणगौर माता की पूजा करने के लिए सबसे पहले एक चौकी पर स्वास्तिक बना लें। अब इस चौकी पर पानी से भरा एक कलश रख दें। इसके बाद कलश पर नारियल और पान के पांच पत्ते रख दें। कलश को चौकी की दाहिनी ओर रख दें।

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इसके बाद होली की राख या काली मिट्टी से सोलह छोटी-छोटी पिंडी बनाकर उसे चौकी पर दें। फिर गणगौर के भजन गाकर कर पूजा करें।  सात दिनों तक होली की राख से पूजा करने के बाद कुम्हार के यहां से गणगौर भगवान और मिट्टी के दो कुंडे लेकर आए। इसके बाद गणगौर के आखिरी दिन तक इनकी विधि विधान से पूजा कर गणगौर भगवान को विसर्जित कर दिया जाता है और गणगौर का उद्यापन किया जाता है।

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