
भगवान गणेश को बुद्धि, विवेक और समृद्धि का देवता माना जाता है. कोई भी शुभ काम करने से पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है. गणेश जी का जन्म उत्सव 5 सितंबर तक चलेगा. भगवान गणेश का पूजन करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं. यदि आप ने भी गणेश जी की स्थापना की है तो घर पर ही गणेश विसर्जन करें ताकि प्रदूषण न हों.
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए चतुर्थी तिथि से शुरू करके 10 दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है.
कैसे करें विसर्जन
सबसे पहले जिस तरह से आप पूजन कर रहे हैं, विसर्जन से पहले भी उसी तरह से भगवान गणेश का पूजन करें. मोदक, फल का भोग लगाएं. भगवान गणेश की आरती करें. भगवान गणेश से विदा होने की प्रार्थना करें. पूजा स्थान से गणपति की प्रतिमा को उठाएं और किसी दूसरे लकड़ी के पटे पर रखें. साथ में फल, फूल, वस्त्र, मोदक और दक्षिणा रखें. एक कपड़े में थोड़े चावल, गेहूं और पंचमेवा रखकर पोटली बनाएं उसमें कुछ सिक्के भी डाल दें. उस पोटली को गणेश जी की प्रतिमा के पास रखें साफ पानी में गणेश जी का विसर्जन करें. नदी, तालाब में विसर्जन का विधान है, लेकिन बढ़ते प्रदूषण के कारण आप अपने घर में ही बड़े टब में साफ पानी भर कर गणेश जी का विसर्जन करें. कुछ दिन तक टब में पानी और मूर्ति रहने दें और फिर किसी पेड़ के नीचे उस जल को छोड़ दें.
इन तरीकों से घर पर करें विसर्जन
शास्त्रों में विसर्जन का अर्थ पानी में विलीन होना माना जाता है. इसके चलते बड़ी संख्या में लोगों के बीच यह मान्यता है कि गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन नदी, तालाब में किया जाना अनिवार्य है. लेकिन ऐसा नहीं है प्रतिमा का विसर्जन बिना भीड़ में जाएं और जल प्रदूषण बढ़ाए घर पर भी किया जा सकता है.
ऐसे करें गमले में विसर्जन
गणपति की विधिवत पूजा अर्चना करें. इसके बाद नए बड़े गमले में पानी भरकर गणेश जी को उसमें बैठाएं, जिससे गणेश जी की प्रतिमा उस पानी में धीरे-धीरे गल जाएगी. उस गमले में मिट्टी डालकर पौधा लगा सकते हैं. गणेश जी के विसर्जन वाली मिट्टी में तुलसी का पौधा कभी न लगाएं.
टब या बर्तन में विसर्जन
घर पर बड़े टब या बर्तन में गणेश जी को विसर्जित कर सकते हैं. पूजा के बाद एक बड़े टब में जल लेकर उसमें गणेश जी को बैठा दें. इन्हें तब तक बैठा रहने दें जब तक जल में पूरी तरह से मिल न जाएं. इसके बाद उस जल को किसी पार्क या पौधे में डाल दें.