भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर, जहां पर गोबर के विराजमान है गणपति

हमारे देश में ऐसा हर स्थान को लेकर कहां जाता है कि यहां पर किसी ना किसी भगवान की विशेष कृपा है। ऐसा कोई भी स्थान नहीं है जहां पर यह मान्यता ना हो कि हमारे शहर में किसी भी भगवान की कोई महानता या उनकी कृपा ना हो। जैसे कि महाराष्ट्र में गणपति की कृपा बखान है वैसे ही वाराणसी में भगवान शिव की विशेष आस्था है वहां के लोगों की। जहां पर जिस भगवान की कृपा होती है वहां पर उस भगवान के काफी मंदिर होते हैं।

भगवान की विशेष

आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जहां पर गोबर के गणपति विराजते हैं। इस मंदिर का नाम भी गोबर गणेश है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के नीमाड़ क्षेत्र में माहेश्वर कस्बे में है जहां पर बप्पा की विशेष कृपा है,वहां पर गणेश जी की गोबर की प्रतिमा है। गोबर रूप गणेश जी ही पूजे जाते हैं।

आमतौर पर पूजा-पाठ में हम गोबर के गणपति बनाकर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। मिट्टी और गोबर की मूर्ति में पंचतत्वों का वास माना जाता है और खासकर गोबर में तो मां लक्ष्मी साक्षात वास करती हैं। इसलिए गोबर गणेश मंदिर में आने वाले भक्तों की मान्यता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों को भगवान गणेश के साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है।

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बाप्पा की प्रतिमा के साथ ही मंदिर का आकार भी भक्तों को हैरान करता है एक तरफ जहां मंदिर का बाहरी आकार किसी मस्जिद के गुंबद की तरह है वहीं मंदिर के अंदर की बनावट लक्ष्मी यंत्र की तरह लगती है। कहते हैं औरंगजेब के शासन काल में इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का प्रयास किया गया था जिसके कारण मंदिर के गुंबद का आकार मंदिर की तरह न होकर मस्जिद जैसा है।

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मंदिर में बाप्पा अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि-सिद्धि संग देते हैं दर्शन और करते हैं भक्तों का कल्याण। भक्तों का भी मानना है कि यहां आने से गणपति सभी भक्तों की इच्छा पूरी कर देते हैं। यही वजह है कि भक्त यहां उल्टा स्वास्तिक बनाकर भगवान तक पहुंचाते हैं अपनी फरियाद और मनोकामना पूरी होने के बाद यहां आकर सीधा स्वास्तिक बनाना नहीं भूलते।

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