तम्बाकू क्षेत्र में एफडीआई पर पूर्ण प्रतिबंध लगे : संजय डालमिया
नई दिल्ली। गोल्डन टोबैको लिमिटेड के चेयरमैन संजय डालमिया ने बुधवार को तंबाकू क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का विरोध किया और कहा कि इस क्षेत्र में जारी वर्तमान निवेश में धीरे-धीरे कमी की जानी चाहिए। डालमिया के मुताबिक गोल्डन टोबैको लिमिटेड तम्बाकू के सेक्टर में एफडीआई के मामले पर विचार विमर्श करने के लिए सभी हितग्राहियों की बैठक बुलाने के सरकार के फैसले का पूरे दिल से स्वागत करता है।
उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) कन्वेंशन में भारत एफसीटीसी का हस्ताक्षरकर्ता है और तम्बाकू का उपयोग घटाने के लिए बाध्य है। यद्यपि उनकी कम्पनी सिगरेट तथा अन्य तम्बाकू उत्पादों के निर्माण के व्यापार में संलग्न है, लेकिन इसके बाद भी वह इसके उपयोग में कटौती करने के सरकार के प्रयासों में सहयोग करेगी।
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा बुधवार को तंबाकू क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर बुलाई गई बैठक में अंशधारकों ने अलग-अलग राय व्यक्त की। इस बैठक में किसान संगठन और उद्योग प्रतिनिधि भी शामिल हुए। बैठक की अध्यक्षता औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग ( डीआईपीपी ) के सचिव रमेश अभिषेक ने की।
सिगार, सिगरेट और विभिन्न तंबाकू विकल्पों में अभी एफडीआई की अनुमति नहीं है। हालांकि, किसी तरह के प्रौद्योगिकी सहयोग में इसकी अनुमति है। इसमें तंबाकू क्षेत्र में फ्रेंचाइच लाइसेंसिंग, ट्रेडमार्क, ब्रांड नाम और प्रबंधन अनुबंध शामिल हैं।
डालमिया ने सरकार के सुझाव देते हुए कहा कि भारत में तम्बाकू सेक्टर में किसी भी रूप में एफडीआई पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगना चाहिए। तम्बाकू उद्योग में विदेशी सीधा निवेश (एफडीआई) कम करने से इस सेक्टर की अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों से होने वाली प्रतिस्पर्धा से सुरक्षा होगी, जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था स्थिर होकर वृद्धि करेगी। वर्तमान निवेशों को चरणबद्ध तरीके से अगले 2 से 3 सालों में कम किया जाना चाहिए।
इसके अलावा डालमिया ने कहा कि टेक्निकल अपग्रेडेशन की आड़ में कोई रियायत न दी जाए, ताकि बैक डोर एंट्री पर रोक लगे। उन्होंने कहा, “भारत ने 2010 में सिगरेट निर्माण में विदेशी निवेश पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन जैसा ऊपर बताया गया है, देश अभी भी टेक्नॉलॉजी सहयोग, लाईसेंसिंग समझौते, फ्रेंचाईजी, ट्रेड नाम, ब्रांड नाम और मैनेजमेंट कॉन्टैक्ट्स के माध्यम से तम्बाकू कंपनियों को निवेश की अनुमति दे रहा है।
एक ट्रेडिंग कंपनी का निर्माण करके निवेश किए जा सकते हैं। ऐसी बैक डोर एंट्री किसी भी कारण से स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए, चाहे फिर विदेशी सहयोग द्वारा टेक्निकल अपग्रेडेशन ही क्यों न किया जा रहा हो। इन सारी व्यवस्थाओं पर तत्काल या फिर अगले 3 से 4 सालों में चरणबद्ध तरीके से रोक लगनी चाहिए। यह बात भी सत्य है कि जब तक भारत में शक्तिशाली विदेशी तम्बाकू कंपनियां काम करेंगी, तब तक वो तम्बाकू पर नियंत्रण के प्रयासों को कमजोर करने के लिए अपने प्रभाव का उपयोग करती रहेंगी।”
डालमिया ने यह भी कहा कि तम्बाकू किसानों के साथ लाभ बांटने की व्यवस्था होना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह भी सभी जानते हैं कि किसानों को उनके उत्पाद का पूरा फायदा नहीं मिलता और ज्यादातर किसान कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं। एक ऐसी प्रक्रिया होनी चाहिए, जिसके द्वारा हर तंबाकू कंपनी के फायदे का कुछ प्रतिशत हिस्सा तम्बाकू उगाने वाले किसानों तक पहुंच सके।
इस समय तम्बाकू कंपनियां भारी मुनाफा कमा रही है, जबकि किसान कर्ज के बोझ तले दब रहे हैं। लाभ बांटने की व्यवस्था से इन किसानों को मदद मिलेगी और उनकी आय में काफी वृद्धि होगी। हम सरकार से निवेदन करते हैं कि हमारे इन सुझावों पर विचार किया जाए और सभी लोगों के फायदे के लिए इन सुझावों को जल्द से जल्द लागू किया जाए।”