
नेपाल में जेन-जी (Gen Z) युवाओं के नेतृत्व वाले सरकार विरोधी आंदोलन ने मंगलवार को हिंसक रूप धारण कर लिया, जिसके बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, गृह मंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री समेत कम से कम पांच मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया।

ओली का इस्तीफा राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल को सौंपा गया, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। इससे देश में गहरा राजनीतिक संकट पैदा हो गया है, और अब नई सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आंदोलन की शुरुआत सोमवार को हुई, जब सरकार ने फेसबुक, यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदी लगाई थी, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ ऑनलाइन अभियान को दबाने के प्रयास के रूप में देखी गई। पाबंदी हटाने के बावजूद प्रदर्शन उग्र हो गए।
भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों का हिंसक मोड़
सरकारी भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ सड़कों पर उतरे युवा प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मंत्रियों और शीर्ष नेताओं के सरकारी व निजी आवासों पर हमला बोल दिया। तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाओं में संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, सिंह दरबार (सरकारी कार्यालय कॉम्प्लेक्स) को आग के हवाले कर दिया गया। सिंह दरबार पूरी तरह राख हो गया, जिसमें पीएम और मंत्रियों के दफ्तर शामिल हैं। कई बैंकों, होटलों और एयरपोर्ट पर भी तोड़फोड़ हुई। त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा धुआं और सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में प्रदर्शनकारी नेताओं को पीटते और घरों में घुसकर लूटपाट करते दिखे।
- राष्ट्रपति और पीएम के घरों पर हमला: राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के महलनिवास और पीएम ओली के बालकोट (भक्तपुर) व जनकपुर स्थित निजी घरों को निशाना बनाया गया। प्रदर्शनकारियों ने इन्हें आग लगा दी, और ओली के घर के बाहर नाचते-गाते उत्सव मनाया।
- अन्य नेताओं पर हमले: पूर्व पीएम शेरबहादुर देउबा, उनकी पत्नी व विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा को घर में घुसकर पीटा गया। पूर्व पीएम झलनाथ खनाल की पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार को घर में बंदकर जिंदा जला दिया गया, और उनकी मौत कीर्तिपुर बर्न अस्पताल में हो गई। वित्त मंत्री विष्णु पौडेल को सड़क पर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया, वायरल वीडियो में उन्हें लातें मारते दिखाया गया। पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक, ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का और कांग्रेस महासचिव गगन थापा के घरों को भी नुकसान पहुंचाया गया।
- सुरक्षा बलों पर हमला: प्रदर्शनकारियों ने युवाओं पर गोली चलाने के आदेश देने वाले एक डीएसपी को पीट-पीटकर हत्या कर दी।
पार्टियों के दफ्तरों और जेलों पर हमले, कैदियों की फरारी
प्रदर्शनकारियों ने नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल समेत कई राजनीतिक दलों के मुख्यालयों में आग लगा दी। सुरक्षाकर्मियों ने नेताओं और उनके परिवारों को हेलीकॉप्टर से सुरक्षित जगहों पर ले जाने की कोशिश की। धनगढ़ी में जेल का फाटक तोड़ दिया गया, जिससे सैकड़ों कैदी फरार हो गए। काठमांडू में जगह-जगह टायर जलाकर सड़कें अवरुद्ध की गईं।
- रबी लामिछाने की रिहाई: भ्रष्टाचार के आरोप में नक्खू जेल में बंद राष्ट्रिय प्रजातंत्र पार्टी (आरएसपी) के अध्यक्ष व पूर्व उप-पीएम रबी लामिछाने को प्रदर्शनकारियों ने जेल से छुड़ा लिया। उन्हें अक्टूबर 2024 में गिरफ्तार किया गया था। जेल प्रशासन ने सुरक्षा न दे पाने का हवाला देते हुए लामिछाने को उनकी पत्नी निकिता पौडेल को सौंप दिया। रिहाई के बाद नक्खू जेल के सभी लगभग 1,500 कैदी बाहर निकल गए। लामिछाने अब पीएम पद के दावेदार के रूप में उभर रहे हैं, क्योंकि वे भ्रष्टाचार विरोधी छवि के धनी हैं।
मौतें और हिंसा की आशंका
सोमवार को पुलिस की गोलीबारी में कम से कम 19-22 लोग मारे गए, जबकि सैकड़ों घायल हुए। पूर्व पीएम झलनाथ खनाल की पत्नी राजलक्ष्मी की जिंदा जलने से मौत के बाद देशव्यापी प्रदर्शनों के और हिंसक होने की आशंका बढ़ गई है। कर्फ्यू के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने राजधानी काठमांडू में भारी सुरक्षा व्यवस्था को तोड़ा।
सेना ने संभाली कमान, अपीलें जारी
रात 10 बजे से सेना ने सुरक्षा की कमान संभाल ली है। सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगदेल ने राष्ट्र को संबोधित कर प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने और वार्ता के लिए आगे आने की अपील की। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भी युवाओं से शांति बनाए रखने को कहा। सेना ने कहा कि यदि हिंसा जारी रही, तो सभी सुरक्षा संस्थाएं स्थिति नियंत्रित करेंगी। बुधवार सुबह से काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर में सेना तैनात है, और 26 लोगों को लूटपाट के आरोप में गिरफ्तार किया गया। परिवहन सेवाएं अनिश्चितकाल के लिए बंद हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
भारत ने 19 मौतों पर शोक जताया और शांतिपूर्ण संवाद की अपील की। विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को नेपाल यात्रा स्थगित करने और सतर्क रहने की सलाह दी। चीन ने अभी आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन ओली को अपना करीबी माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने हिंसा रोकने और संवाद की वकालत की।
यह आंदोलन नेपाल के इतिहास का सबसे बड़ा युवा विद्रोह बन चुका है, जो भ्रष्टाचार और सेंसरशिप के खिलाफ है। हालांकि ओली का इस्तीफा एक जीत है, लेकिन हिंसा से लोकतंत्र को खतरा है। सेना की भूमिका अब महत्वपूर्ण होगी।