युवती ने अपने जन्म के लिए डॉक्टर पर किया केस, मिला करोड़ों का हर्जाना

‘अनुचित गर्भाधान’ के आधार पर ईवी टूम्स नाम की युवती ने अपनी मां के डॉक्टरों पर मुकदमा किया है। टूम्स को स्पाइना बाइफिडा नाम के रोग से जूझ रहीं है। इस रोग के कारण रीढ़ की हड्डी में कमी हो जाती है जिसकी वजह से कई बार टूम्स को 24 घंटे तक ट्यूब से बंधकर गुजारने पड़ते हैं।

ब्रिटिश मीडिया की खबरों के अनुसार 20 साल की ईवी टूम्स ने डॉ. फिलिप मिचेल पर मुकदमा करते हुए कहा था कि डॉ. मिचेल ने उनकी मां को सही सलाह नहीं दी थी जिस कारण उनका जन्म हुआ। टूम्स ने दावा करते हुए कहा  कि अगर डॉ. मिचेल ने उनकी मां को बताया होता कि बच्चे को स्पाइना बाईफिडा के साथ पैदा होने का खतरा कम करने के लिए फॉलिक एसिड लेना होगा, तो उनकी मां कभी गर्भवती ना होतीं और उनका जन्म भी ना होता।

देना पड़ेगा करोड़ों का हर्जाना

ब्रिटिश अखबार डेली मेल के अनुसार लंदन हाई कोर्ट की जज ने इस ऐतिहासिक फैसले में ईवी टूम्स की दलील को स्वीकार कर लिया है।ईवी टूम्स को बड़ी पेनाल्टी का अधिकारी तय करते हुए जज ने कहा, “वैसे हालात में गर्भ देर से ठहरता और बच्चा स्वस्थ पैदा होता।” ईवी के वकीलों के मुताबिक अभी मुआवज़े की राशि की गणना नहीं की गई है लेकिन यह मिलने वाली राशि भारी-भरकम होगी क्योंकि इसमें ईवी के पूरे जीवन की देखभाल का खर्च जोड़ा जाएगा।

ईवी की मां ने जज को बताया कि, “मुझे बताया गया था कि अगर मेरा खान-पान अच्छा रहा है तो मुझे फॉलिक एसिड लेने की जरूरत नहीं है।” 50 वर्षीय कैरोलाइन के अनुसार वह डॉ मिचेल के पास फरवरी 2001 में गई थीं। उन्होंने कहा, “परिवार की शुरुआत एक बहुत कीमती फैसला था क्योंकि मेरे अपने माता-पिता की मौत तब हो गई थी जब मैं बहुत छोटी थी। इसलिए हम बिना डॉक्टर से बात किए यौन संबंध बनाने से भी परहेज कर रहे थे।”

क्यों यह फैसला अहम है
ईवी की बीमारी स्थायी अपंगता से जुड़ी है। नवंबर 2001 में उनके जन्म के कुछ समय बाद ही इसका पता चल गया था। डॉक्टर मिचेल के वकील माइकल डे नावारो के मुताबिक इसमें डॉक्टर की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है, हो सकता है कि डॉक्टर से मिलने से पहले ही कैरोलाइन रोडवे गर्भवती हों।

हालांकि जज ने उनकी इस दलील को खारिज कर दिया है और ईवी टूम्स के पक्ष में फैसला सुनाया। जज ने कहा, “इन हालात में मैं पाती हूं कि श्रीमती टूम्स तब गर्भवती नहीं थीं। उन्होंने फॉलिक एसिड लेने की सलाह नहीं दी गई। उन्हें स्पाइना बाइफिडा या न्यूरल ट्यूब से फॉलिक एसिड के संबंध के बारे में भी नहीं बताया गया।”

लंदन हाई कोर्ट के इस फैसले को ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि इसका मतलब है कि यदि कोई स्वास्थ्यकर्मी जन्म और गर्भ से संबंधी गलत सलाह देता है और उसकी वजह से अस्वस्थ बच्चा पैदा होता है, तब उसे कानूनन जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

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