एकल विषयक संस्थानों को खत्म करने वाला दस्तावेज जारी, कहीं से भी मनचाहा विषय से पढ़ाई करना होगा सहज

दिलीप कुमार

केंद्र सरकार विषय विशेष से संबंधित कॉलेजों को समाप्त करने का मूड बना लिया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने शनिवार को एक ड्राफ्ट जारी किया है। इस ड्राफ्ट में यह सुझाव दिया गया है कि एकल विषय या विशेष और ख़ास डोमेन वाले संस्थानों का समाप्त किया जान चाहिए। इसकी जगह ऐसे संस्थानों को विकल्प के रूप में जगह देना चाहिए जो बहुविषयक हो।

इस ड्राफ्ट से केंद्र सरकार की मोटो स्पष्ट हो जाती है कि देश भर में के वो संस्थान जो मेडिसिन, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट जैसे एकल विषयों से संबंधित संस्थानों के जगह ऐसे संस्थान हो जहां सभी विषयों के पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए जाते हों।

आपको बता दें नई शिक्षानीति 2020 के तहत परंपरगात उच्च शिक्षा प्रणाली को बदलकर नई शिक्षा प्रणाली के तलाश में सेल्फ फाइनेंस्ड कॉलेजों को इस ड्राफ्ट के माध्यम से सुझाव दिया गया है। वर्तमान में ज्यादातर कॉलेज किसी न किसी विद्यालय से संबद्ध होते हैं। लेकिन नए नियमों के अनुसार इस परंपरा को बदले का प्रस्ताव रखा गया है। प्रस्तावित ड्राफ्ट का नाम ” उच्च शिक्षा संस्थानों को बहु-विषयक संस्थानों में बदलना ” है। विश्व विद्यालय आयोग ने इस ड्राफ्ट के जरिए सार्वजनिक राय मांगी है जिसे अगले 20 मार्च तक दिया जा सकता है। अगर इस ड्राफ्ट का उद्देश्य अनुसंधान और विकास, इनोवेशन और इनक्यूबेशन पर ज्यादा फोकस करके प्रोडक्टिविटी को बढ़ाना है।

बता दें कि देश के कई संस्थान और विश्वविद्यालय ने पहले ही अपने संस्थानों में विषय विशेष के आलांवा अन्य विषयों का संचालन शुरू कर दिया है। इनमें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नें अपने परंपरागत विषयों के आलांवा इंजीनियरिंग विभाग का संचालन शुरू कर दिया है। अब इस विश्व विद्यालय में मेडिकल के पढ़ाई को संचालित करने पर विचार चल रहा है। आईआईटी में इंजीनियरिंग के साथ-साथ प्रबंधन और मानविकी विभाग संचालित हो रहा है। उधर बिएचयू पहले से ही बहुविषयक है।

इस ड्राफ्ट में किसी एक विषय से संबंधित डिग्री को किसी दूसरे विषय के डिग्री को एकीकृत करने की योजना है। उदाहरण के तौर पर एक बी.एड. कोर्स को बीए के साथ जोड़कर एक साझा कोर्स बनाया जा सकता है, जिसका साझा नाम होगा बीए-बीएड।
इसके साथ ही जारी ड्राफ्ट में एक और दिशा निर्देश है कि यदि किसी संस्थान को बहुविषयक बनना हो तो वह अपने संस्थान के विषय को दूसरे संस्थान के भीन्न विषय को एकीकृत कर संचालित कर सकता है। इससे दोनों संस्थान सम्मिलत होकर एक बहुविषयक संस्थान बन जाएंगे।

इसी दस्तावेज में दूसरी दिशानिर्देश यह है कि कोई छात्र एक संस्थान में नामंकन करा लेता है तो वह पहली डिग्री मेजबान संस्थान से ले सकता है और दूसरी डिग्री अन्य संस्थान से एक ही नामंकन से ले सकता है। दिशानिर्देश में आगे कहा गया कि विश्वविद्यालय राज्य सरकार या नियामक निकायों की मंजूरी के साथ भागीदार संस्थान दोहरी डिग्री की पेशकश के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर कराकर सीटों की संख्या, डिग्री हासिल करने जैसी पहलुओं सहमति बना सकता है।

एसी परिकल्पना है कि प्रत्येक कॉलेज या तो एक स्वायत्त डिग्री देने वाले कॉलेज के तौर पर विकसित होगा या किसी विश्वविद्यालय का एक कांस्टीट्यूंट कॉलेज बन जाएग। बाद वाले मामले में यह पूरी तरह से यूनिवर्सिटी का एक हिस्सा होगा।

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