जो 1947 में नहीं हुआ अब वो बदलाव करेगी मोदी सरकार?
नई दिल्ली। सियासी दांव-पेंच के बीच राज्यसभा में राष्ट्रगान पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया गया। बता दें ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी इसी तरह का मामला पहले सामने आ चुका है। कुछ लोगों को राष्ट्रगान में ‘सिंध’ शब्द काफी अखर रहा है।
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वजह ‘सिंध’ जो कभी भारत का हिस्सा हुआ करता था, बटवारे के समय वह पाकिस्तान में जा मिला। हैरत की बात है कि तब किसी ने इसे बदलना मुनासिब नहीं समझा पर अब कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा इस मामले को उठा रहे हैं। इससे पहले शिवसेना ने भी इसी शब्द पर आपत्ति जताई थी।
ध्यान रहे, देश का बंटवारा साल 1947 में हुआ था और इस रचना( जन-गण-मन) को जन्म देने वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की मृत्यु 7 अगस्त 1941, कोलकाता में हुई।
खबरों के मुताबिक़ कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने शुक्रवार को राज्यसभा में राष्ट्र गान को लेकर एक संशोधन की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश किया है।
असम से सांसद बोरा ने राष्ट्रगान से ‘सिंध’ शब्द निकालने की मांग की। उनका कहना है कि क्योंकि यह एक ऐसे राज्य को संदर्भित करता है जो साल 1947 में भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बन गया।
रिपुन ने अपनी मांग में यह भी लिखा है कि तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा में 24 जनवरी 1950 को कहा था कि यदि सरकार चाहे तो वह राष्ट्रगान में बदलाव ला सकती है।
कांग्रेस सांसद ने कहा है कि ‘सिंध’ की जगह ‘नार्थ ईस्ट’ शब्द को राष्ट्रगान में सम्मिलित किया जाना चाहिए जो भारत के पूर्वोत्तर इलाके में स्थित राज्यों का उल्लेख करेगा।
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उन्होंने यह भी लिखा है कि नॉर्थ ईस्ट भारत का अभिन्न अंग है लेकिन राष्ट्रगान में इस राज्य का कोई जिक्र नहीं है।
इससे पहले इसी तरह की मांग मार्च 2016 में शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत ने उठाई थी, जिन्होंने ‘सिंध’ शब्द को राष्ट्रगान से हटाने की मांग की थी, क्योंकि अब प्रांत पाकिस्तान का हिस्सा है ।
बता दें 1911 में नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर ने राष्ट्र गान ‘जन गण मन’ लिखा था, जब भारतीय क्षेत्र पश्चिम में बलूचिस्तान से लेकर पूर्व तक और सिलहट तक फैला था।
हालांकि, बंटवारे के बाद, सिंध, बलूचिस्तान, खैबर-पख्तूनख्वा और पंजाब के कुछ हिस्से पाकिस्तान में चला गया।
वहीं सिलहट, ढाका और बंगाल के अन्य भागों को पूर्वी पाकिस्तान को सौंप दिया गया जो कि बाद में बांग्लादेश बन गया।
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