महिला आयोग का CBSE को नोटिस, प्रश्नपत्र में महिला विरोधी वाक्यों को लेकर उठे सवाल
CBSE की 10वीं कक्षा की अंग्रेज़ी विषय की परीक्षा में ‘लैंगिक रूढ़िवादिता’ को बढ़ावा देने और ‘प्रतिगामी धारणाओं’ का समर्थन करने का आरोप लगा है। यह आरोप दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने लगाया है। आरोप लगाते हुए दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने सोमवार (13 दिसंबर) को CBSE को एक नोटिस जारी करते हुए विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है और साथ ही CBSE से यह पैसेज लिखने वाले, प्रश्न पत्र के लिए इसे चुनने वाले ज़िम्मेदार लोगों के नाम और पदनाम की जानकारी मांगी है और यह पूछा गया है की उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की गई है या नहीं। CBSE को इस नोटिस का जवाब 17 दिसंबर तक देना है। मामला बढ़ने पर CBSE ने परीक्षा के उस पैसेज और उससे जुड़े प्रश्नों को हटा दिया और छात्रों को इसके लिए पूरे अंक देने का फ़ैसला किया है।
DCW द्वारा जारी किए गए नोटिस में कहा गया है की, “क्या इस पैसेज की जाँच किसी विशेषज्ञ द्वारा की गई थी? यदि हाँ, तो कृपया इस ग़लती के लिए उनके ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई के साथ-साथ इसका पूरा विवरण प्रदान करें। भविष्य में अपने अध्ययन, परीक्षा और अन्य सामग्री में इस तरह के लेखों के प्रकाशन को रोकने के लिए उठाए गए क़दमों के बारे में अवगत कराएं और मामले में एक विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट प्रदान करें।”
शनिवार (11 दिसंबर) को आयोजित CBSE की 10वीं की परीक्षा के प्रश्नपत्र के कुछ अंश सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिसमें ‘महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया’, ‘अपने पति के तौर-तरीक़े को स्वीकार करके ही एक माँ अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है’ जैसे वाक्यों का इस्तेमाल किया है। इस पर क़ाफ़ी लोगों ने आपत्ति जताई और ट्विटर पर CBSE पर निशाना साधते हुए हैशटैग ‘CBSE Insults Women’ (CBSE ने महिलाओं का अपमान किया) का समर्थन करने का आह्वान किया।
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