सर्वोच्च अदालत ने ज्यादा ब्याज के मामले में आरबीआई को दिया निर्देश

नई दिल्ली| सर्वोच्च न्यायालय ने कर्जदार से वसूल किए गए ज्यादा ब्याज की वापसी से संबंधित एनजीओ मनीलाइन फाउंडेशन की एक याचिका पर सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निर्देश दिया कि वह मामले में अपने फैसले से एनजीओ को छह सप्ताह के भीतर अवगत कराए।

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सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोशी ने मनीलाइन फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए आरबीआई को निर्देश दिया। मामले में दूसरी जनहित याचिका (पीआईएल) पांडुरंग दलाल ने दायर की है।

अदालत ने कहा, “हमारा मानना है कि इस चरण में याचिकाकर्ताओं के दिनांक 12 अक्टूबर 2017 के पत्र में शामिल मामले में आरबीआई को निर्देश दिया जाए कि वह आज से छह सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं को अपने फैसले से अवगत कराए।”

अदालत ने कहा, “उसके बाद भी अगर याचिकाकर्ता असंतुष्ट हों तो उनको इस अदालत में एक बार फिर आने की स्वतंत्रता होगी।”

अदालत ने कहा कि आरबीआई ने अपने 26 दिसंबर 2017 के पत्र में एनजीओ को सूचित किया था कि उसके द्वारा 12 अक्टूबर 2017 को उठाए गए मसले विचाराधीन हैं।

एनजीओ ने अदालत को बताया कि उसे बैंक से कोई जवाब नहीं मिला, इसलिए उसके पास अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए शीर्ष अदालत आने के सिवा कोई विकल्प नहीं रह गया था।

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याचिकाकर्ता ने बैंकिंग संस्थाओं और गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को आवास, शिक्षा और उपभोक्ता वस्तुओं के ऋणों पर फ्लोटिंग रेट के समय वसूल किए गए ज्यादा ब्याज की रकम की गणना करने और के लिए निर्देश देने की मांग की थी, जिसमें उनकों समय-समय पर ब्याज दरों की कटौती का लाभ नहीं मिला था।

याचिकाकार्ताओं ने वसूल किए गए ज्यादा ब्याज की रकम की वापसी की मांग की।

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