वैश्विक महामारी कोरोना से हर कोई डरा हुआ है. कई लोगों के मौत के बाद इसको लोगों जानलेवा माना और इससे बचने के लिए कई तरीके अपनाएं. कुछ दिन पहले भारतीय कंपनी सिप्ला ने छह महीने के अंदर इसकी दवा तैयार करने का दावा किया तो जापानी कंपनी टेकेडा फार्मा ने ठीक हुए मरीजों की एंटीबॉडीज से जल्द ही इसकी दवा तैयार करने का दावा किया है.

वहीं दूसरी ओर कोरोना संक्रमण में काम करने वाली 69 दवाओं की पहचान की गई थी, जिसपर प्रयोग चल रहे हैं. अब आपको बताने जा रहें हैं कि चीन के शोधकर्ताओं ने कोरोना मरीजों के लिए क्या दावा किया है. उनके हिसाब से एक तरीका है जिससे कोरोना मरीजों को आराम मिल सकता है.
कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों को सूखी खांसी, तेज बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या होती है। सांस लेने में तकलीफ बढ़ने पर उसे ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटीलेटर और आईसीयू जैसी जरूरतें होती है। वहीं इस स्थिति में आराम दिलाने के लिए चीन के शोधकर्ताओं ने एक और तरीका बताया है। उन्होंने अपने हालिया रिसर्च में बताया है कि मरीजों को उल्टा यानी पेट के बल लिटाया जाए तो सांस लेना आसान हो जाता है।
चीनी शोधकर्ताओं की यह रिसर्च अमेरिकन जर्नल ऑफ रेस्पिरेट्री एंड क्रिटकल केयर मेडिसिन में प्रकाशित हुई है। कोरोना संक्रमण के गढ़ यानी चीन के वुहान में इस वायरस से जूझ रहे मरीजों पर यह प्रयोग किया गया है। इसमें बताया गया कि मरीज को जब सांस लेने में तकलीफ हो तो उन्हें पेट के बल लिटा देना चाहिए और मुंह को तकिए पर रखना चाहिए। बताया गया है कि वेंटीलेटर पर कोरोना पीड़ित का उल्टा लेटना फेफड़ों के लिए बेहतर है।
साउथवेस्ट यूनिवर्सिटी, चीन के शोधकर्ता हैबो क्यू के मुताबिक, ऐसा करने से फेफड़ों पर पॉजिटिव प्रेशर यानी सकारात्मक दबाव बढ़ता है तो उनका व्यवहार बदलता है और मरीज को राहत महसूस होती है। चीन के वुहान में कोरोना वायरस से पीड़ित 10 मरीजों पर यह रिसर्च की गई। रिसर्च में सामने आया कि कोरोना वायरस के मरीज एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम से जूझते हैं, जिन्हें मशीनों के जरिए ऑक्सीजन दी जाती है। वुहान में भी कोरोना के अधिकतर मरीज इसी सिंड्रोम से जूझ रहे थे।
एक हफ्ते तक चली इस रिसर्च के दौरान वेंटिलेटर पर लेटे कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज का ऑक्सीजन लेवल, फेफड़ों का आकार और एयर-वे प्रेशर जांचा गया, तो सामने आया कि सात मरीज कम से कम एक बार ही सीने के बल लेटे थे। वहीं, तीन ऐसे मरीज थे, जो प्रोन पोजिशन में लेटे थे और उन्हें इक्मो(लाइफ सपोर्ट सिस्टम) भी दिया जा रहा था। वहीं तीन अन्य मरीजों की मौत हो गई। एक हफ्ते तक चली इस रिसर्च में शोधकर्ताओं का कहना है कि इलाज के दौरान मरीज के शरीर की पोजिशन का भी बहुत प्रभाव पड़ता है। मरीज अगर गलत तरह से लेटे तो शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो सकता है।