एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में 80 फीसदी लोग जो इस बीमारी की चपेट में थे, उनमें वायरस के बहुत कम लक्षण दिखाई दिए थे, जबकि यूरोप में यह आंकड़ा 70 फीसदी होते हुए भी 10 में से 3 मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत थी। 70 साल से ज्यादा उम्र वाले मरीजों को हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कॉर्डियो वास्कुलर की शिकायत थी, वे करोना से ज्यादा सबसे ज्यादा पीड़ित थे और इनमें भी पुरुषों की संख्या ज्यादा थी।
यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कारोलीना की एक अन्य स्टडी में बताया गया कि धूम्रपान करने से फेफड़ों में एंजाइम की क्रियाशीलता बढ़ जाती है, ऐसा होने से एसीई-2 (Angiotensin-Converting Enzyme-2) कोविड-19 के मरीजों की संख्या बढ़ती है। यह एसीई-2(ACE2) उम्र और हाइपरटेंशन जैसे कुछ अन्य कारकों के इलाज से भी बढ़ता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि ये दोनो खतरनाक तथ्य हैं। धूम्रपान करने वाले अधिकतर लोगों में इस महामारी के लक्षण के रूप में सांस लेने में तकलीफ जैसी शिकायत देखी गई।
चीन के चिकित्सकों ने जांच के लिए कोरोना वायरस के 99 मरीजों का सैंपल लिया, जिसमें पाया कि बुजुर्गों की तुलना में धूम्रपान करने वाले लोगों की मौत का आंकड़ा ज्यादा था। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग ज्यादा धूम्रपान करते हैं तो उन्हें खतरे को कम करने के लिए धूम्रपान छोड़ देना चाहिए। पब्लिक हेल्थ चैरिटी एश के चीफ एग्जिक्यूटिव देबोराह आरनॉट का कहना है कि स्वस्थ लोगों के मुकाबले धूम्रपान करने वालों को निमोनिया होने का खतरा दुगना होता है। कोरोना वायरस पीड़ित का इलाज इस बात पर आधारित होता है कि मरीज के शरीर को सांस लेने में मदद की जाए और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति का शरीर खुद वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाए। इसलिए विशेषज्ञ धूम्रपान छोड़ने की सलाह देते हैं।