‘द केरल स्टोरी’ को नेशनल अवॉर्ड पर विवाद: FTII छात्र संगठन ने की निंदा, कह दिया ये

71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सुदीप्तो सेन के निर्देशन में बनी फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफी के लिए पुरस्कार मिलने की घोषणा के बाद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। 2023 में रिलीज हुई इस फिल्म को लेकर शुरू से ही विरोध हो रहा है, और अब फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) के छात्र संगठन ने इसे ‘प्रोपेगेंडा’ और ‘हथियार’ करार देते हुए पुरस्कार के फैसले की कड़ी निंदा की है।

FTII छात्र संगठन का विरोध
FTII छात्र संगठन ने 2 अगस्त को एक बयान जारी कर कहा कि ‘द केरल स्टोरी’ कोई फिल्म नहीं, बल्कि एक झूठा नैरेटिव है, जो मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने और केरल जैसे सांप्रदायिक सद्भाव वाले राज्य को अपमानित करने के लिए बनाया गया है। संगठन की अध्यक्ष गीतांजलि साहू और महासचिव बार्शा दासगुप्ता द्वारा हस्ताक्षरित बयान में कहा गया, “यह फैसला केवल निराशाजनक नहीं, बल्कि खतरनाक है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह बहुसंख्यकवादी, नफरत से भरे एजेंडे को बढ़ावा देने वाले प्रचार को सिनेमा के नाम पर पुरस्कृत करेगी। यह फिल्म अल्पसंख्यकों के खिलाफ गलत सूचना और डर फैलाती है, जो हिंसा, सामाजिक बहिष्कार और राजनीतिक भेदभाव को बढ़ावा दे सकती है।”

छात्रों ने यह भी बताया कि जब 2023 में FTII परिसर में फिल्म की स्क्रीनिंग हुई थी, तब भी इसका विरोध हुआ था। गीतांजलि ने कहा, “हमारे परिसर में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होता। हम एक साथ रहते हैं, काम करते हैं और इंसानियत को पहले रखते हैं। इसलिए यह फिल्म हमें स्वीकार्य नहीं है।”

केरल के नेताओं का गुस्सा
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पुरस्कार को “भारतीय सिनेमा की धर्मनिरपेक्ष परंपराओं का अपमान” करार देते हुए कहा कि यह फिल्म केरल की छवि को धूमिल करती है और सांप्रदायिक नफरत फैलाती है। उन्होंने इसे संघ परिवार के एजेंडे का हिस्सा बताया और फिल्म समुदाय से एकजुट होकर इसका विरोध करने की अपील की। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने भी फिल्म को “नफरत फैलाने वाला” बताते हुए कहा कि यह केरल की छवि को खराब करती है और इसे “कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए।” केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वासुदेवन शिवनकुट्टी ने भी जूरी के फैसले की आलोचना की।

जूरी में भी मतभेद
फीचर फिल्म श्रेणी के 11 सदस्यीय जूरी में शामिल मलयाली फिल्मकार प्रदीप नायर ने फिल्म को पुरस्कार देने का विरोध किया था। उन्होंने कहा, “एक मलयाली के तौर पर मैंने गंभीर आपत्ति जताई। मैंने सवाल किया कि एक ऐसी फिल्म जो केरल को बदनाम करती है और प्रोपेगेंडा फैलाती है, उसे राष्ट्रीय सम्मान कैसे दिया जा सकता है।” हालांकि, जूरी के अन्य सदस्यों ने इसे सामाजिक रूप से प्रासंगिक मुद्दा बताकर चयन का समर्थन किया। जूरी अध्यक्ष अशुतोष गोवारीकर ने कहा कि फिल्म की सिनेमैटोग्राफी यथार्थवादी थी और निर्देशन में जटिल विषय को स्पष्टता से पेश किया गया।

फिल्म का विवाद
‘द केरल स्टोरी’ में केरल की महिलाओं को जबरन धर्म परिवर्तन कर इस्लामिक स्टेट (ISIS) में भर्ती होने की कहानी दिखाई गई है। फिल्म के निर्माताओं ने दावा किया था कि यह वास्तविक घटनाओं पर आधारित है और 32,000 महिलाएं इससे प्रभावित हुईं, लेकिन केरल सरकार ने इन दावों को गलत बताया। RTI के जवाब में सामने आया कि 2014 से 2020 तक ISIS से जुड़े 177 लोगों में से केवल 19 केरल से थे। फिल्म को पश्चिम बंगाल में प्रतिबंधित कर दिया गया, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने इसे टैक्स-मुक्त घोषित किया। इसके बावजूद, फिल्म ने विश्व स्तर पर 302 करोड़ रुपये की कमाई की।

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