
सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी शामिल हुए। जहां उन्होंने संविधान सभा की चर्चाओं का डिजिटल संस्करण जारी किया और संवैधानिक लोकतंत्र पर आधारित ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी का शुभारंभ किया। वहीं, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, संविधान दिवस के दिन, आप सबके साथ यहां उपस्थित होकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतन्त्र है। मुझे विश्वास है कि आप सब भी इस अवसर पर हमारे महान लोकतंत्र के प्रति गौरव का अनुभव कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा, इसी सेंट्रल हॉल में 72 वर्ष पहले हमारे संविधान निर्माताओं ने स्वाधीन भारत के उज्ज्वल भविष्य के दस्तावेज को यानि हमारे संविधान को अंगीकार किया था तथा भारत की जनता के लिए आत्मार्पित किया था।लगभग सात दशक की अल्प अवधि में ही, भारत के लोगों ने लोकतान्त्रिक विकास की एक ऐसी अद्भुत गाथा लिख दी है जिसने समूची दुनिया को विस्मित कर दिया है। मैं यह मानता हूं कि भारत की यह विकास यात्रा, हमारे संविधान के बल पर ही आगे बढ़ती रही है।
राष्ट्रपति ने कहा, संविधान सभा के सदस्यों ने जन प्रतिनिधि की हैसियत से, संविधान के प्रत्येक प्रावधान पर चर्चा और बहस की। वे साधारण लोग नहीं थे। उनमें से अनेक सदस्य कानून के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके थे, अनेक सदस्य अपने-अपने क्षेत्र के प्रतिष्ठित विद्वान थे और कुछ तो दार्शनिक भी थे। लेकिन संविधान के निर्माण में वे सभी संविधान सभा के लिए निर्वाचित जन प्रतिनिधि के रूप में ही भाग ले रहे थे। उनके शब्दों के पीछे उनके सत्कार्यों और नैतिकता का आभा मंडल था। उनके चरित्र की महानता का परिचय हमारे स्वाधीनता संग्राम में उनकी भागीदारी के दौरान लोगों को मिल चुका था।
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि सत्ता-पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों में प्रतिस्पर्धा होना स्वाभाविक है – लेकिन यह प्रतिस्पर्धा बेहतर प्रतिनिधि बनने और जन-कल्याण के लिए बेहतर काम करने की होनी चाहिए। तभी इसे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा माना जाएगा। संसद में प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता नहीं समझा जाना चाहिए। विचारधारा में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन कोई भी मतभेद इतना बड़ा नहीं होना चाहिए कि वह जन सेवा के वास्तविक उद्देश्य में बाधा बने। ग्राम-सभा, विधान-सभा और संसद के निर्वाचित प्रतिनिधियों की केवल एक ही प्राथमिकता होनी चाहिए। वह प्राथमिकता है – अपने क्षेत्र के सभी लोगों के कल्याण के लिए और राष्ट्र-हित में कार्य करना।